
तमिलनाडु के जंगलों से अच्छी खबर आई है। वहां के कलकाड मुंडनथुराराई टाइगर रिजर्व व सत्यमंगलम वन क्षेत्र में बाघों का कुनबा बढ गया है। कलकाड मुंडनथुराराई टाइगर रिजर्व में चार साल में बाघों का कुनबा दुगना हो गया है। 2006 में वहां छह बाघ ही बचे थे। गत फरवरी की गणना के अनुसार इनकी संख्या बढ़कर 13 हो गई है। वहीं सत्यमंगलम जंगल में एक साल में ही बाघों की संख्या दोगुनी हो गई। यहां 2007 में मात्र आठ बाघ ही थे। वर्ष 2008 में इनकी संख्या घटकर सात हो गई तथा 2009 में यह बढ़कर 10 हो गई। जिला वन अधिकारी एन रामसुब्रमण्यम के अनुसार अभी जारी बाघों की गणना के अनुसार वहां 18 बाघ हैं। एक समय इस जंगल में जिस जगह पर कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का ठिकाना था आज वहां बाघ विचरण करते पाए गए हैं। सत्यमंगल के जंगल में बाघों की संख्या बढ़ने से केंद्र सरकार भी उत्साहित है। एक ओर जहां उत्तर भारत में बाघों की संख्या तेजी से घट रही है वहीं सत्यमंगलम में बाघों की संख्या बढ़ने पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने तमिनलाडु सरकार से कहा है कि वह सत्यमंगलम के जंगल को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए प्रस्ताव भेजे।
फिलहाल सत्यमंगल के जंगल का एक छोटा सा भाग ही अभयारण्य घोषित किया गया है तथा यह क्षेत्र ही दक्षिण भारत का एकमात्र गैर टाइगर रिजर्व फोरेस्ट है। यह जंगल से आई बहुत अच्छी खबर है। सत्यमंगलमजंगल के वन अधिकारी के अनुसार यह संभव हुआ है शिकार रोकने के लिए की गई क़डी सुरक्षा तथा जानवरों के लिए किए गए पानी जैसे उचित प्रबंधों के कारण। यहीं नहीं अगर देशभर में वन विभाग पहले ही इतना मुस्तैद रहता तो कई बाघों को अपनी जान न गंवानी प़डती। सरिस्का से बाघ यूं ही गायब नहीं होते। और भी कई जगहों से बाघों का करीब-करीब सफाया ही हो गया। इस पृथ्वी के सबसे खूबसूरत व सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण जानवरों में से एक बाघ अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। शिकारी उस पर बुरी नजर गढाए बैठे हैं। भारत उन दुर्लभ देशों में से एक है जहां यह खूबसूरत ब़डी बिल्ली पाई जाती है। दरअसल शिकारियों ने इस खूबसूरत प्राणी को विलुçप्त के कगार पर ही पहुंचा दिया है। बाघ 13 देशों में पाए जाते हैं। ये हैं-भारत, बांग्लादेश, बर्मा, थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम, लाओस, भूटान, नेपाल और रूस। इन देशों को टाइगर रेंज कंट्रीज (टीआरसी) कहा जाता है और इन देशों ने मिलकर बाघों को बचाने के लिए काम शुरू किया है। भारत में सबसे ज्यादा बाघ पाए जाते हैं। हालांकि एक ही वन में सबसे ज्यादा बाघ बांग्लादेश के सुंदरबन में मिलते हैं। यहां करीब 450 बाघ हैं। दरअसल बाघ का जैव विविधता, खाद्य शृंखला व परिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण योगदान होता है। बाघों के कारण ही सुंदरबन की जैव विविधता व पारिस्थिकी का स्तर अच्छा है। भारत की तरह बाघ बांग्लादेश का भी राष्ट्रीय पशु है। बांग्लादेश में इसे बहादुरी का प्रतीक माना जाता है। जहां कभी इनका वनों में राज होता था वहीं आज ये बमुश्किल ही नजर आते हैं। घटते वनों व शिकार के कारण बाघ उन जानवरों में से एक हैं जो विलुçप्त के कगार पर ख़डे हैं। चीन में बाघों के अंगों विशेषकर इसकी खाल व हçड्डयों की खासी मांग होने के कारण इनका खूब शिकार किया जा रहा है। हमारे बाघों को देखने के लिए सुदूर देशों के लोग यहां खिंचे चले आते हैं। बाघों की एक झलक पाने को लोग कई कई बार जंगल में चिचरण करते हैं। ऎसे में हमें गर्व होना चाहिए कि भारत उन देशों में से एक है जहां यह शानदार जीव रहता है। हमें इसकी रक्षा में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए।
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