Thursday, November 3, 2011

हेलन : बॉलीवुड की पहली आइटम गर्ल

हेलन के पिता एंग्लो-इंडियन जबकि मां बर्मीज थीं। दूसरे विश्व युद्ध में पिता की मौत के बाद हेलन का पूरा परिवार मुंबई में ही शिफ्ट हो गया। बॉलीवुड की पहली आइटम गर्ल के तौर पर पहचानी जाने वाली अभिनेत्री हेलन ने बॉलीवुड का उस वक्त आइटम नंबर से परिचय कराया जब वो अपने शुरूआती दौर में था। हेलन (1939) अपना 72वां जन्मदिन मना रही हैं। हेलन के दीवानों की आज भी कोई कमी नहीं। आखिरबार वे परदे पर आदित्य चोपडा के निर्देशन में "मोहब्बतें" में नजर आई थीं। इस फिल्म में उन्होंने मिस मोनिका की अविस्मरणीय लेकिन छोटी सी भूमिका को निभाया था। हेलन ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरूआत एक डांसर के रूप में की थी। उनको फिल्मों में लाने का श्रेय कुकू को जाता है, जो स्वयं उन दिनों फिल्मों में नर्तकी के रूप में नजर आती थीं। हेलन सबसे पहले कोरस डांसर के रूप में 1951 में आई फिल्म "शबिस्तां" और "आवारा" में नजर आई थीं। तीन साल तक लगातार कोरस डांसर के रूप में नजर आने के बाद 1954 में पहली बार हेलन एकल नृतकी के रूप में परदे पर फिल्म अलीफ लैला में नजर आई लेकिन प्रसिद्ध हुई इसी वर्ष आई फिल्म बारिश के गीत मिस्टर जॉन, ओ बाबा खान. . . नामक गीत से। शक्ति सामंत की अशोक कुमार और मधुबाला अभिनीत फिल्म "हावडा ब्रिज" ने हेलन के करियर में जबरदस्त बदलाव लाने वाली रही। इस फिल्म में हेलन के ऊपर फिल्माया गया गीत "मेरा नाम चिन चिन चू, रात चांदनी मैं और तू हल्लो मिस्टर हाऊ डू यू डू. . . " इस गीत को गीता दत्त ने आवाज दी थी। "हावडा ब्रिज" ने बॉलीवुड में हेलन की मांग को इस कदर बढा दिया था कि इसके बाद परदे पर प्रदर्शित होने वाली हर दूसरी फिल्म में उनका कोई न कोई नृत्य जरूर होता था। इसके बाद साठ और सत्तर के दशक में हेलन ने कई फिल्मों में अपनी नृत्य क्षमता के साथ-साथ अभिनय क्षमता का भी भरपूर प्रदर्शन किया था। साठ और सत्तर के दशक में हेलन के ऊपर जितने भी गीत फिल्माए गए थे उनमें आवाज आशा भोंसले की होती थी। जबकि उससे पहले उनके ऊपर फिल्माए गए ज्यादातर गीतों को गीता दत्त ने आवाज दी थी। हेलन के ऊपर आशा की आवाज इस कदर मेल खाती थी कि देखने वालों को लगता था कि परदे पर हेलन अपनी स्वयं की आवाज में गा रही है। हेलन की लोकप्रियता को देखते हुए उस वक्त के फिल्म लेखक हेलन के लिए जहां गीत की गुंजाइश निकालते थे, वहीं वे फिल्म में उनके लिए कोई न कोई किरदार भी अवश्य रखते थे। हेलन को सबसे पहले 1965 में अपने अभिनय के लिए पहचान मिली फिल्म गुमनाम, जिसमें उनके साथ मनोज कुमार, नन्दा, मेहमूद, प्राण आदि ने काम किया था। इस फिल्म में हेलन के ऊपर गीत "गम छोड के मनाओ रंग रेली. . . ." फिल्माया गया था। इस फिल्म के लिए पहली बार हेलन सर्वश्रेष्ठ सह अदाकारा के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामित हुई थीं। हालांकि इससे पहले 1963 में आई फिल्म "पारसमणि" में उनके ऊपर फिल्माया गया गीत "ऊई मां ऊई मां ये क्या हो गया" बेहद लोकप्रिय हुआ था। "गुमनाम" के अतिरिक्त हेलन "शिकार" (1968), "ऎलान" (1971), और संजय लीला भंसाली की फिल्म "खामोशी : द म्यूजिकल" (1996) के लिए भी हेलन सर्वश्रेष्ठ सह अदाकारा के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामित हुई थीं। वर्ष 1998 में हेलन को फिल्मों में दिए गए अपने योगदान के लिए फिल्मफेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला। इसके बाद 2009 में हेलन पkश्री से भी सम्मानित हुईं। हेलन के अभिनय करियर में निर्देशक महेश भट्ट की फिल्म "लहू के दो रंग" (1979) विशेष महत्व रखती है। अपने अभिनय सफर के अंतिम दिनों में उन्होंने इस फिल्म में विनोद खन्ना के साथ काम किया था। अपनी बेहतरीन अभिनय क्षमता के लिए उन्हें इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट सपोटिंüग एक्ट्रेस अवॉर्ड मिला था। हेलन के ऊपर यूं तो कई गीत फिल्माए गए हैं लेकिन हम उनके फिल्म करियर के चुनिंदा दस ऎसे गीतों का जिक्र करना चाहेंगे जिन्होंने फिल्म में हेलन को नायिका से ज्यादा प्रभावी सिद्ध कर दिया था। दर्शक जब फिल्म देखकर सिनेमा हॉल से बाहर आता था तो उसके जेहन में सिर्फ और सिर्फ हेलन और वह गीत छाया रहता था और जुबां पर उसके गीत के बोल होते थे। 1958 में आई शक्ति सामंत की हावडा ब्रिज में उन पर फिल्माया गया गीत "मेरा नाम चिन चिन चू, रात चांदनी मैं और तू", 1963 में आई संगीतकार लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल की पहली सुपरहिट फिल्म पारसमणि का गीत "ऊई मां ऊई मां ये क्या हो गया", 1965 में आई निर्देशक राजा नवाथे की फिल्म "गुमनाम" का गीत "गम छोड के मनाओ रंगरेली", 1966 में आई निर्माता निर्देशक नासिर हुसैन की फिल्म "तीसरी मंजिल" का गीत जिसमें उनके साथ शम्मी कपूर ने नृत्य किया था (जबकि वास्तविकता यह है कि शम्मी कपूर नृत्य करना ही नहीं जानते थे, वे तो सिर्फ अपने लचकदार शरीर से इस तरह की भाव भंगिमाएं परदे पर पेश करते थे जिसे दर्शकों ने उनकी नृत्य शैली मान लिया था) "ओ हसीना जुल्फों वाली जाने जहां ढूंढती हैं आंखें जिसका निशां" ऎसा गीत रहा था जिसने इस फिल्म की नायिका आशा पारिख को दर्शकों की नजरों से गायब कर दिया था। याद रहती हैं तो सिर्फ हेलन। 1969 में आई आर.के. नय्यर की सुपरहिट फिल्म "इंतकाम" के गीत "आ जाने जां, आ ये हुस्न मेरा जवां जवां तेरे लिए है आग लगाये" ऎसा गीत रहा जिसने नायिका प्रधान इस फिल्म की नायिका साधना को काफी पीछे छोड दिया था। 15 अगस्त, 1975 को प्रदर्शित हुई निर्माता जी.पी. सिप्पी की उनके पुत्र रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म "शोले" जिसे पहले बॉलीवुड में असफल करार दे दिया गया था, लेकिन जिसने बाद में सफलता और प्रस्तुतीकरण के बलबूते पर विश्व सिनेमा की दस फिल्मों में जगह बनाने में कामयाबी पाई। लेखक सलीम जावेद ने हेलन के लिए एक ऎसे दृश्य की रचना की जिसने उन्हें कालजयी बना दिया है। "शोले" में एक गीत "मेहबूबा मेहबूबा" रखा गया था। यह गीत आगा और हेलन के ऊपर फिल्माया गया। इस नृत्य गीत में हेलन ने जिस अंदाज में नृत्य किया और सलीम जावेद ने अपनी पटकथा में जिस खूबसूरती से इसे पिरोया यह अपने आप में एक नायाब नमूना था। आज भी जब कभी यह गीत रेडियो पर सुनाई देता है श्रोताओं के जेहन में हेलन का नृत्य घूमने लगता है। "शोले" से पहले आई 1973 में अनामिका में हेलन पर आशा भोंसले की आवाज में फिल्माया गया गीत "आज की रात कोई आने को है रे बाबा, कोई आने का है. . ." और 1971 में आई नासिर हुसैन की जितेन्द्र, आशा पारिख अभिनीत "कारवां" में हेलन पर फिल्माया गया कैबरे नृत्य "पिया तू अब तो आ जा. . ." ने अपने समय की मशहूर कैबरे डांसर बिन्दु को पीछे छोड दिया था। एन.एन. सिप्पी के पुत्र राज सिप्पी ने जब "इंकार" नामक फिल्म बनाई तो उन्होंने इस फिल्म में अपनी पटकथा में हेलन के लिए एक ऎसे नृत्य की गुंजाइश रखी, जो फिल्म को महत्वपूर्ण मोड देने वाला साबित होता है। इस गीत "मंूगडा मूंगडा मैं गुड की ढली मंगता है तो आजा रसिया नही तो मैं ये चली" को उन्होंने देशी शराब के ग्रामीण ठेके पर फिल्माया था। फिल्म के खलनायक अजमद खान के साथ केश्टो मुखर्जी पर फिल्माया गया यह गीत आज भी दर्शकों और श्रोताओं को नाचने पर विवश कर देता है। हेलन ने अपना अन्तिम नृत्य गीत अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म "डॉन" में किया था। इत्तेफाक की बात है कि अमिताभ बच्चन की "डॉन" भी ऎसी फिल्म थी, जिसे पहले सप्ताह में असफल करार दे दिया गया था, लेकिन बाद में इस फिल्म ने जो सफलता पायी वह अपने आप में बॉलीवुड के लिए आश्चर्य है। इस फिल्म में हेलन के ऊपर आशा की आवाज में गाया गया एक बेहतरीन नृत्य गीत रखा गया था। "ये मेरा दिल प्यार का दीवाना, दीवाना मस्ताना प्यार का दीवाना" उनके करियर का अंतिम सर्वश्रेष्ठ गीत रहा। कहा जाता है कि अमिताभ बच्चन को नृत्य करना बिलकुल नहीं आता था। जिन दिनों हेलन अमिताभ के साथ डॉन में काम कर रही थीं उन्होंने अमिताभ बच्चन को नृत्य के कुछ ऎसे स्टेप्स सिखाए जिसे आगे जाकर अमिताभ ने अपनी फिल्मों के नृत्य गीतों में आजमाया। "डॉन" के ही एक गीत "खाइके पान बनारस वाला" में भी हेलन ने उनकी मदद की थी। बॉलीवुड में बेशक एक बार फिर से आइटम नंबर का दौर शुरू हो चुका हो, लेकिन आज भी हेलन का कोई मुकाबला नहीं। आज भी नायिकाएँ हेलन के गीतों पर नृत्य करना पसन्द करती हैं। करीना कपूर ने शाहरूख खान की डॉन में सिर्फ हेलन के गीत के लिए हामी भर थी। इस फिल्म में उस गीत पर नृत्य किया था, जो मूल फिल्म में हेलन और अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया था। इस गीत के बोल थे, "ये मेरा दिल प्यार का दीवाना, दीवाना मस्ताना, आता है मुझ को प्यार में जल जाना. . . ." इस गीत पर जितनी हॉट और सैक्सी हेलन लगी थी, करीना कपूर उनका एक प्रतिशत भी पेश नहीं कर पाई थीं। शम्मी कपूर और अमिताभ बच्चन के साथ हेलन की कैमेस्ट्री बेहतरीन थी। आइटम नंबर के साथ ही हेलन ने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया। हेलन को उनके बेहतरीन लुक्स और ड्रेसिंग सेंस के लिए जाना गया। निर्देशक पी.एन. अरोरा ने 1957 से 1974 तक हेलन के संरक्षक की भूमिका निभाई। 1980 में, हेलन ने लेखक सलीम खान से शादी कर ली। सलीम खान ने जावेद अख्तर के साथ लिखी अपनी कई फिल्मों में उनके लिए किरदार लिखे जिनमें प्रमुख फिल्में थी—ईमान धरम, डॉन, दोस्ताना और शोले। इन सभी फिल्मों में उनके साथ अमिताभ बच्चन ने काम किया था। लिखित कई फिल्मों में हेलन ने आइटम नम्बर पेश किये थे। इसके बाद हेलन ने एक बच्ची, अर्पिता को गोद भी लिया। 1982 में हेलन औपचारिक तौर पर फिल्मों से रिटायर हो गई थी। लेकिन वे 1996 और 2000 में मेहमान भूमिका में नजर आई। उन्होंने 1996 में संजय लीला भंसाली की फिल्म "खामोशी : द म्यूजिकल" में सलमान खान की दादी सास का अविस्मरणीय किरदार निभाया। 1999 में संजय लीला भंसाली की ही फिल्म "हम दिल दे चुके सनम" में हेलन ने सलमान खान की मां की भूमिका निभाई। वास्तविक जिन्दगी में वे सलमान खान की सौतेली मां हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने सलमान खान के साथ "दिल ने जिसे अपना कहा" में दादी सास और "मेरीगोल्ड" में दादी मां की भूमिका निभाई है। फिल्मों से इतर, हेलन ने लंदन, पैरिस, हांगकांग में कई स्टेज शो भी किए। हेलन ने फिल्मों के साथ-साथ कुछ गैर फिल्मों में भी काम किया है। उन्होंने 1973 में मर्चेन्ट आइवरी फिल्म्स की 30 मिनट अवधि की एक डॉक्यूमेंटरी "क्वीन ऑफ नच गर्ल" में काम किया था, जिसे एंथोनी कोमर ने निर्देशित और रूपान्तरित किया था। 2006 में जैरी पिंटो ने हेलन के ऊपर एक किताब लिखी थी, जिसका शीर्षक था "द लाइफ एण्ड टाइम्स ऑफ इन एच-बोम्बे", जिसने 2007 का सिनेमा की बेहतरीन पुस्तक का राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड जीता। छोटे परदे पर हेलन बतौर जज 2009 में प्रसारित हुए इंडियन डांसिंग क्वीन के सेमीफाइनल और फाइनल में नजर आई थीं। आज फिल्मों में जो आइटम नम्बर का दौर चल रहा है वह फिल्म में जबरदस्ती ठूंसा हुआ लगता है, जबकि पहले हेलन के गीत की गुंजाइश पटकथा लेखक अपनी पटकथा में ही रखते थे। उनके ऊपर जो गीत फिल्माया जाता था वह कहानी की मांग नजर आता था। आज भी जब कभी चैनलों पर हेलन के ऊपर आधारित कार्यक्रम प्रसारित होते हैं तो दर्शकों की दिलचस्पी उस कार्यक्रम को देखने और हेलन पर फिल्माए गए गीतों को देखने में बढ जाती है।
राजेश कुमार भगताणी

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