निर्देशक: शॉन अरान्हा
संगीत: गौरव दास गुप्ता
कलाकार: अर्जुन बाजवा, मृणालिनी शर्मा, पूरब कोहली
समीक्षा:
इस हफ्ते रिलीज हुई शॉन अरान्हा निर्देशित फिल्म हाइड एंड सीक उन्हीं दर्शकों को पसंद आ सकती है जो सस्पेंस फिल्मों के शौकिन है। इस फिल्म में कोई ऎसा जाना पहचाना नाम नहीं है, जिससे फिल्म बॉक्स ऑफिस पर दर्शक जुटा सके, तो वहीं फिल्म का सब्जेक्ट भी आम दर्शक की समझ से परे है। ऎसा भी नहीं कि फिल्म में कुछ नया पेश किया गया हो। इससे पहले संजय गुप्ता की एसिड फैक्ट्री की कहानी का प्लॉट इससे मिलता-जुलता है। क्रिसमस की रात पांच दोस्त मजाक-मजाक में लुका-छिपी का खेल खेलते हैं। किसी को भी इस बात का एहसास नहीं होता कि आने वाले वक्त में यह खेल उनके लिए किस हद तक खतरनाक हो सकता है।
ओम जायसवालबात (पूरब कोहली), जयदीप महाजन (अर्जन बाजवा), ज्योतिका झलानी (मृणालिनी शर्मा), अभिमन्यु जायसवाल (समीर कोचर), इमरान बेग (अयाज खान) और गुंतिका सूरी (अमृता पटकी) ने सपने में भी नहीं सोचा था कि 12 साल के बाद कोई एक बार फिर उन्हें लुका-छिपी खेलने को मजबूर करेगा। एक शॉपिंग मॉल में फंसे इन पुराने दोस्तों को इस बार नहीं मालूम कि खेल के दौरान कौन जिंदा रहेगा और कौन नहीं। सस्पेंस, थ्रिल और खौफ पर टिकी इस कहानी को शॉन अरान्हा ने कुछ अलग स्टाइल में पेश करने की कोशिश तो की है, लेकिन कुछ अलग और हटकर करने की चाह में ऎसे प्रयोग कर डाले, जो फिल्म को आम दर्शक और फैमिली क्लास से दूर करती है। शॉन ने अपनी तरफ से तो अंत तक हत्यारे की पहचान छुपाने की कोशिश की, लेकिन दर्शकों हो हत्यारे का सुराग पहले पता लगना, निर्देशन की खामी है।
ज्यादातर न्यूकमर्स या इक्का-दुक्का फिल्मों में काम करने वाले स्टार्स की इस फिल्म का हर पात्र कहानी का अहम हिस्सा जरूर लगता है लेकिन जहां तक ऎक्टिंग की बात है, तो पूरब कोहली, अयाज खान अपनी उपस्थिति का अहसास कराते है। फिल्म में डरानेवाली ऎसी कोई भी बात नहीं है, लेकिन फिल्म में दो-तीन दृश्य है, जो आपको चौका देंगे। किसी भी कलाकार का काम ठीक नहीं है और कहानी में भी दम नहीं हैं।
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