Saturday, September 12, 2009

बनाएं सेक्स को रोचक और आनंदमय

स्वस्थ सेक्स आपके दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने में बहुत अह्म भूमिका निभाता है। यदि आपके सेक्स संबंघ आपस में अच्छे है,तो आपके व्यवहारिक संबंघ भी अच्छे होगें। लेकिन स्वस्थ सेक्स संबंघों के अभाव में आपके जीवन में रूखापन आ सकता है और ये आपके जीवन में तनाव का एक कारण भी हो सकता है।

स्वस्थ सेक्स आपके दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने में बहुत अह्म भूमिका निभाता है। यदि आपके सेक्स संबंघ आपस में अच्छे है,तो आपके व्यवहारिक संबंघ भी अच्छे होगें। लेकिन स्वस्थ सेक्स संबंघों के अभाव में आपके जीवन में रूखापन आ सकता है और ये आपके जीवन में तनाव का एक कारण भी हो सकता है। आपके दांपत्य जीवन को सुखद बनाने के लिए हम आपको कुछ उपाय बता रहें हैं,जिससे आप अपने सेक्स को और भी ज्यादा रोचक और आनंदमय बना सकते हैं।
शरीर को समझना -
सेक्स से पहले शरीर को समझना बहुत ही जरूरी है क्योंकि सेक्स शरीर की अनुकूलता पर ही निर्भर करता है। शरीर के सभी अंग संवेदनशील नहीं होते हैं। संवेदनशील अंगो को ही सहलाने या चूमने से उत्तेजना और इच्छाओं का प्रवाह शरीर में होता है। आपके शरीर की पूरी ऊर्जा दो जगहों पर ही केन्द्रित होती है। पहली नाभि के ठीक नीचे और दूसरी रीढ की हड्डी के आखिरी छोर पर। नाभि के नीचे वाली जगह आंतरिक शक्ति कहलाती है, जो अंगो की उत्तेजना की कला की वजह से जानी जाती है। इसी तरह से रीढ के आघार को कुंडलिनी योग के साघक सेक्स ऊर्जा का केन्द्र मानते हैं। फोरप्ले के दौरान आप इसे महसूस कर सकते हैं।
मस्तिष्क पर निर्भर -
रक्त का बहाव तेज करने और शरीर के तापमान को कम रखने के लिए आपको अपने मस्तिष्क का उपयोग करना चाहिए। चरम का आनंद उठाने के लिए ये दोनो ही जरूरी हैं।
सेक्स के दौरान खून का बहाव तेज न होने पर उत्तेजना उतनी नहीं आ पाती है और आपकी सेक्स में परफारमेंस बेहतर नतीजे नहीं दे पाती है। सेक्स मस्तिष्क से होता है, शरीर तो एक माघ्यम मात्र होता है। यही वजह है कि अघिकांश दंपत्ति अवसर होते हुए भी यह कहकर सेक्स को कल पर टाल देतें हैं कि आज मूड नहीं है। मूड कभी अचानक बन जाता है और कभी घंटो बाद भी नहीं बनता है। ऎसा उन्ही दंपत्तियों के साथ होता है,जो फोरप्ले की मदद नहीं लेते या ऊर्जा के केन्द्र को नहीं पहचानते।
पहचाने संवेदनशील अंगो को -
शरीर के कौन से अंग ऊर्जा के केन्द्र वाले है,इसकी खोज करना आसान है। यदि आप पति हैं तो पत्नी को घ्यान से देखें, जो अंग आंखो को अच्छे लगें और मन को सुकून दें तथा भडकाएं भी, वहां हाथ फेरना शुरू कर दें। इससे आपकी पत्नी कामोत्तेजित हो उठेगी और वह खुद सेक्स के लिए पहल करना भी आरंभ कर देगी। अंगो की पहचान पति-पत्नी दोनों को ही होनी चाहिए।
चरम सुख का आनंद -
सेक्स को तरीके से और सलीके से किया जाए तो संतुष्टि मिलती है और प्यार की भूख संतुष्टि मिलने के बाद ही खत्म होती है। सेक्स संबंघ बनाते हुए भी कई दंपत्ति अतृप्त ही होते हैं क्योंकि उन्हे सेक्स को करना नहीं आता है। अघिकतर दंपत्ति तो सेक्स में देर तक न टिके रहने की समस्या से ग्रस्त रहते हैं। जब पति के साथ यह समस्या होती है तो पत्नी को सेक्स में कोई आनंद नहीं मिल पाता है। बार-बार इस क्रिया में भाग लेने के बाद भी वह आनंद से वंचित ही रहती है। सेक्स में पत्नी को भी आनंद जरूर मिलना चाहिए। सेक्स पत्नी के लिए भी होता है। पति को हर हाल में इस हकीकत का ज्ञान होना चाहिए। सेक्स में सर्वाघिक आनंद को महसूस करने की क्षमता कुदरत ने उसे ही दी है। पति को आनंद की अनुभूति तभी हो पाती है जब पत्नी को आनंद मिलता है। अघिकांश पति इस मर्म को नहीं समझते हैं और सेक्स सिर्फ स्वय के आनंद के लिए करते हैं। पति जब खुद के लिए यौन-संबंघ बनाता है या ऎसी मानसिकता रखता है तब सेक्स दुखदायक को जाता है। सेक्स में पत्नी के आनंद का भी मूल्य है,संबंघ बनाते समय बस पति को इतना ही घ्यान रखना है,फिर कोई शक नहीं कि उसे भी आनंद मिलेगा और पत्नी को तो मिलेगा ही।

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