निर्देशक: अनुराग सिंह
गीतकार: जयदीप साहनी
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती, जूलियस
कलाकार: शाहिद कपूर, रानी मुखर्जी , शेर्लिन चोपडा, पूनम ढिल्लो, अनुपम खेर, राखी सांवत, व्रजेश हीरजी
समीक्षा: सरहदों ने बेशक भारत-पाकिस्तान को बांट दिया हो, लेकिन अमृतसर के रहने वाले विक्रम कपूर(अनुपम खेर)और लाहौर के लियाकत अली खान(दिलीप ताहिल) की आंखे आज भी अमन का रिश्ता कायम करने का सपना देख रही है। इसके लिए दोनों मिल कर दोनों देशों की टीमों के बीच एक 20-20 क्रिकेट मैच रखते है, जिसे पाकिस्तान की टीम जीत जाती है। तो उघर वीरां(रानी मुखर्जी) से यह देखा नही जाता। वीरां एक लडकी होते हुए भी बहुत अच्छा क्रिकेट खेलती है, लेकिन उसके क्रिकेट प्रेम को कोई गंभीरता से नही लेता। ऎसे में जब विक्रम कपूर पाकिस्तान से अमन कप वापस लाने के लिए अपने बेटे रोहन (शाहिद कपूर) को लंदन से बुलाता है तो वीरां मौका पाकर टीम में शामिल होने के लिए पहुंच जाती है, पर उसे टीम में नही लिया जाता।
वीरां वी प्रताप सिंह के भेष में टीम में शामिल हो जाती है। एक दिन रोहन वीरां को अपना दिल दे बैठता है, पर रोहन को पता नही चलता कि वीरां और वीर प्रताप सिंह दोनों एक ही है। अमन कप के फाइनल के दौरान अचानक रोहन को वीर प्रताप सिंह की असलियत पता चल जाती है।
तब तक बहुत देर हो चुकी होती है, क्योंकि भारत के सामने रनों के रूप में जीत का एक बडा लक्ष्य होता है। रानी मुखर्जी बहुत दिनों बाद पर्दे पर लौटी है और वे एकदम नैसर्गिक लगती है। यह फिल्म रानी के डामाडोल करीयर को फिर से पटरी पर ला सकता है। लेकिन शाहिद कपूर भी अपनी छाप छोड जाते है।
अनुपम खेर को अब कुछ अलग रोल करने चाहिए। फिल्म में कुछ खास नही है जो दर्शकों को पकडकर रखे। अनुराग सिंह का निर्देशन भी मामूली है अगर फिल्म में कुछ है तो वो है रानी का अभिनय जो काबिलेतारीफ है।
Saturday, September 19, 2009
क्रिकेट के लिए "दिल बोले हडिप्पा"
निर्माता: आदित्य चोपडा
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