Saturday, October 22, 2011

हेमा मालिनी : किसी शायर की गजल ड्रीम गर्ल

हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1946 में तमिलनाडु में हुआ था। बॉलीवुड की यह अभिनेत्री भरतनाट्यम की एक बेहतरीन नृत्यांगना हैं। फिल्में हो या निजी जीवन दर्शकों की जिज्ञासा हमेशा ही उन्हें लेकर बनी रही है। हेमामालिनी का बचपन तमिलनाडु के विभिन्न शहरों में बीता। हेमा के पिता वी.एस. आर. चRवर्ती तमिल फिल्मों के निर्माता थे। फिल्मी परिवेश में पली-बढी हेमामालिनी ने चेन्नई के आंध्र महिला सभा से अपनी पढाई पूरी की। रूपहले पर्दे पर हेमा ने पहली बार पदार्पण किया एक नर्तकी के रूप में।
तेलगू फिल्म पांडव वनवासम् में हेमा ने एक नृत्य में पहली बार बडे पर्दे पर अपनी झलक दिखाई, पर दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माता-निर्देशकों को वे प्रभावित करने में असफल रहीं।इस तरह चार वर्षो के संघर्ष के बाद भी हेमामालिनी को दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय की पारी शुरूआत करने का अवसर नहीं मिल पाया। कभी हेमा को हिन्दी और तमिल फिल्मों के सुप्रसिद्ध निर्देशक श्रीधर ने यह कहकर अपनी फिल्म में लेने से मना कर दिया था कि उनके चेहरे में कोई स्टार अपील नहीं है। यह 1964 की बात है। निर्देशक श्रीधर को हिन्दी सिनेमा के दर्शक दिल एक मंदिर के निर्देशक के रूप में जानते हैं।आखिरकार, हेमा की खूबसूरती और नृत्य कला ने हिंदी फिल्मों के शोमैन राजकपूर को प्रभावित किया। राजकपूर ने उन्हें अपनी फिल्म सपनों का सौदागर में अभिनय का अवसर दिया। सपनों का सौदागर की नायिका के रूप में हिंदी फिल्मों को उसकी ड्रीम गर्ल की पहली झलक मिली। धीरे-धीरे हेमामालिनी का सम्मोहन हिंदी फिल्मी दर्शकों के सर चढकर बोलने लगा और उनका नाम शीर्ष अभिनेत्री की सूची में सबसे ऊपर शुमार हो गया।
लगभग तीन दशक तक हेमामालिनी के अभिनय और आकर्षण का जादू तात्कालिक अभिनेत्रियों पर हावी रहा।श्रीधर द्वारा नकारी गई इस अभिनेत्री ने 1968 में हिन्दी फिल्म सपनों का सौदागर में बॉलीवुड के प्रथम शोमैन राजकपूर के साथ जो सफर शुरू किया वह आज तक बदस्तूर जारी है। रूपहले पर्दे से लेकर संसद तक और नृत्य समारोहों के मंच से लेकर छोटे पर्दे तक हेमामालिनी हर जगह अपनी आकर्षक उपस्थिति से दर्शकों का ध्यानाकर्षण करती रही हैं। अनुभवी, खूबसूरत और प्रतिभाशाली हेमामालिनी भारतीय कला-जगत की अमूल्य धरोहर हैं। जीवन के सातवें दशक में प्रवेश कर चुकी हेमामालिनी की खूबसूरती आज भी नयी नवेली अभिनेत्रियों की ईष्र्या का विषय बन सकती है। वे आज भी दर्शकों को अपने मोहपाश में बांधने की क्षमता रखती हैं। “शोले” फिल्म से मशहूर हुई इस अभिनेत्री की दो बेटियां हैं-बडी बेटी ईशा देयोल और छोटी बेटी आह्न्ना देयोल, यह तिकडी कई चैरिटेबल कार्यक्रम भी प्रस्तुत कर चुकी है।

स्वप्न सुंदरी हेमामालिनी का निजी जीवन भी बेहद रोचक रहा है। अपने अभिनय जीवन के नायकों जितेन्द्र और संजीव कुमार के प्रेम प्रसंग अपने समय में खासे चर्चित रहे हैं। जितेन्द्र के साथ तो हेमा मालिनी की शादी की चर्चाओं ने भी अपने समय में खासी ख्याति बटोरी थी। हालांकि उन्होंने शादी की हिंदी फिल्मों के हीमैन की उपाधि से संबोधित किए जाने वाले अभिनेता धर्मेन्द्र से।

फिल्म “शोले” के बाद अभिनेता धर्मेन्द्र से हेमा ने शादी कर ली। धर्मेन्द्र शादीशुदा थे और उनके चार बच्चे थे। धर्म से हिन्दू होने के कारण धर्मेन्द्र अपनी पहली ब्याहता प्रकाश कौर के रहते तलाक दिए बिना दूसरी शादी नहीं कर सकते थे, इस कारण शादी करने के लिए धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी ने इस्लाम धर्म अपना लिया और इस्लामी रीति-रिवाज से शादी की। धर्मेन्द्र ने अपना नाम बदल कर दिलावर खान केवल किया जबकि हेमा मालिनी का नाम बदल कर आयशा किया गया।

अपने समय में हेमामालिनी और धर्मेन्द्र की जोडी को दर्शकों ने सर्वाधिक सफलता दिलाई थी। इन दोनों ने बॉलीवुड के कई निर्माता-निर्देशकों के साथ लगातार काम किया। इसमें शामिल थे निर्देशक रमेश सिप्पी जिन्होंने हेमा और धर्मेन्द्र के साथ सीता और गीता के अलावा शोले बनाई, प्रमेाद चक्रवर्ती जुगून, आजाद, मां बनाई, निर्देशक रामानन्द सागर भी अपने समय में इस जोडी के बहुत बडे मुरीद थे। उन्होंने धर्मेन्द्र और हेमा के साथ चरस, बगावत जैसी फिल्में बनाई।
धर्मेन्द्र के साथ अपने प्रेम-संबंध के प्रति समर्पण का प्रमाण देकर हेमा ने उनकी दूसरी पत्नी बनना भी स्वीकार कर लिया। धर्मेन्द्र-हेमा की जोडी हिंदी फिल्मों के उन प्रेमी-युगलों की सूची में शामिल है जो फिल्मी पर्दे के साथ-साथ निजी जीवन में भी सफल रही हैं। हेमामालिनी को अपने फिल्म करियर में सबसे पहली व्यापक सफलता देव आनन्द के साथ निर्माता गुलशन राय की यश चोपडा निर्देशित जॉनी मेरा नाम में मिली। जॉनी मेरा नाम में हेमा ने अपने अभिनय और नृत्य कुशलता को जिस अंदाज में पेश किया उससे दर्शक उनके मोहपाश में ऎसे बंधे कि आज तक उससे आजाद नहीं हो पाए हैं।

हेमामालिनी के लंबे फिल्मी सफर की उल्लेखनीय फिल्में हैं-जॉनी मेरा नाम,ड्रीम गर्ल,राजा जानी,सीता और गीता, धर्मात्मा, शोले, चरस, दो और दो पांच, रजिया सुल्तान, द बर्निग ट्रेन, त्रिशूल, द बर्निग ट्रेन, ज्योति, अमीर-गरीब, प्रेम नगर, खुशबू, मीरा, क्रांति, बागबान, बाबुल। हिंदी फिल्मी दर्शकों ने हेमामालिनी के अभिनय के हर रंग देखे हैं। शोले में बातूनी बसंती हो या रजिया सुल्तान में गंभीर रजिया, सीता और गीता में दोहरी भूमिका हो या बागबान में उम्रदराज पत्नी की भूमिका हेमामालिनी ने हमेशा ही दर्शकों पर अपने अभिनय की गहरी छाप छोडी है।

हेमा मालिनी ने अपने समय के हर सुपर सितारे के साथ काम किया है। अमिताभ बच्चन के साथ उन्होंने गहरी चाल, नास्तिक, नसीब, सत्ते पे सत्ता, कसौटी, त्रिशूल, बागबान, बाबुल में काम किया।

इसके अतिरिक्त उन्होंने राजेन्द्र कुमार, संजीव कुमार, शशि कपूर, राकेश रोशन, राजकुमार, दिलीप कुमार, मनोज कुमार, जितेन्द्र, ऋषि कपूर के साथ भी परदे पर प्रेमिका का किरदार निभाया है।
हेमा मालिनी ने अरूणा राजे की रिहाई में काम करते वक्त ही यह सोच लिया था कि वे भी फिल्म निर्देशन के क्षेत्र में उतरेंगी। अपने वक्त पर उन्होंने अपने बैनर की स्थापना की और दिल आशना है नामक महिला प्रधान फिल्म बनाई।
इस फिल्म में उन्होंने डिम्पल कपाडिया, सोनू वालिया, अमृता सिंह, जितेन्द्र, राकेश रोशन आदि के बॉलीवुड को एक नया जोडा दिव्या भारती और शाहरूख खान दिया था। शाहरूख खान को फिल्मों में लाने का श्रेय निर्देशक राजकंवर को जाता है क्योंकि उनकी प्रदर्शित होने वाली पहली फिल्म दीवाना थी, जबकि बॉलीवुड में सबसे पहले शाहरूख खान को साइन करने वाली हेमा मालिनी थी। दिल आशना है के निर्देशन और निर्माण की जिम्मेदारी निभाकर हेमामालिनी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने लंबे अनुभव को रचनात्मक मोड दिया।
हिन्दी सिनेमा और कला जगत में योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पkश्री की प्रतिष्ठित उपाधि से भी सम्मानित किया गया। इन दिनों हेमा मालिनी अपनी बडी बेटी ईशा देओल को बॉलीवुड में फिर से स्थापित करने के लिए सक्रिय हुई हैं।

उन्होंने ईशा के लिए टेल मी ओ खुदा नामक फिल्म का निर्देशन किया है, जिसमें पहली बार धर्मेन्द्र अपनी बेटी के साथ परदे पर नजर आने वाले हैं। फिल्म सफल हो इसके लिए हेमा मालिनी ने इस वक्त के सर्वाधिक सफल सितारे सलमान खान को अपनी फिल्म के साथ जोडा है। सलमान और ईशा देओल पर हेमा मालिनी ने एक आइटम नम्बर फिल्माया है, जो इस फिल्मा यूएसपी साबित होने वाला है। अय्यंगर ब्राrाण परिवार में जन्मी इस अभिनेत्री की छोटी बेटी आह्वाना को विज्ञापनों में देखा जा सकता है। दो बेटियों ईशा और आह्वाना के व्यक्तित्व को मातृत्व की छांव में संवारने के साथ ही हेमामालिनी राजनीतिक परिदृश्य में भी सक्रिय रही हैं। वे भारतीय जनता पार्टी की सांसदा के रूप में अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभाती रही हैं।

अभिनेत्री, निर्मात्री, निर्देशिका और सांसदा होने के साथ ही हेमामालिनी अंतरराष्ट्रीय स्तर की शास्त्रीय नृत्यांगना भी हैं। लुप्त हो रही नृत्य शैली मोहिनीअट्टम के अस्तित्व को बनाए रखने में हेमामालिनी का योगदान उल्लेखनीय है। नृत्य-कला में पारंगत अपनी पुत्रियों के साथ हेमा देश-विदेश में नृत्य-नाटिकाएं प्रदर्शित करती रहती हैं।

हेमामालिनी के व्यक्तित्व का आकर्षण नयी पीढी को भी सम्मोहित करने की क्षमता रखता है। आज भी फिल्मों में उनकी उपस्थिति मात्र से दर्शक सिनेमाघरों में खींचे चले आते हैं। जीवन के हर क्षेत्र में सफल हेमामालिनी का नाम अब विशेषण बन गया है।

उम्मीद है, भारत की इस स्वप्न सुंदरी का आकर्षण वर्षो तक यूं ही बरकरार रहेगा और रूपहले पर्दे से लेकर राजनीतिक मंच तक और छोटे पर्दे से लेकर नृत्य समारोहों में अपनी शालीन और सौम्य उपस्थिति से वे भारतवासियों को यूं ही सम्मोहित करती रहेंगी।

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