Sunday, July 12, 2009

"शार्टकट" मनोरंजन बनाम बोरियत

Shortcut निर्माता: अनिल कपूर
निर्देशक: नीरज वोरा
संगीत: शंकर-अहसान-लॉय
कलाकार: अक्षय खन्ना, अमृता राव,अरशद वारसी, चंकी पांडे

समीक्षा: "गांघी माय फादर" के बाद अनिल कपूर फिल्म "शार्टकट" भी अपेक्षाओं पर खरी नही उतरती और एक औसत फिल्म बनकर रह जाती है। फिल्म देखते समय मनोरंजन बनाम बोरियत का ग्राफ लगातार ऊपर-नीचे होता रहता है। "शार्टकट" फिल्म में शेखर(अक्षय खन्ना) सहायक निर्देशक है और बतौर निर्देशक अपनी फिल्म शुरू करना चाहता है। वह स्क्रिप्ट लिखता है, जिस पर एक निर्माता फिल्म बनाने के लिए तैयार हो जाता है। राजू(अरशद वारसी) बहुत खराब अभिनेता है, लेकिन सुपरस्टार बनने का ख्वाब संजोए है। राजू को एक निर्माता कहता है कि यदि वह अच्छी स्क्रिप्ट लाए तो उसे वह हीरो बना देगा। राजू अपने दोस्त शेखर की स्क्रिप्ट चुरा लेता है। फिल्म बनती है, हिट होती है, और राजू सुपरस्टार बन जाता है। राजू के इस कदम से शेखर को बहुत ठेस पहुंचती है। मानसी (अमृता राव) सुपरस्टार है, और शेखर को चाहती है। दोनों शादी कर लेते है। शादी के बाद शेखर को सभी मानसी के पति के रूप में जानते है, और उसे यह बात बुरी लगती है। खफा होकर शेखर अपनी पत्नी से झगड लेता है, और दोनों अलग हो जाते है। नाकामियों से परेशान शेखर को एक निर्माता मिलता है, और अपनी फिल्म निर्देशित करने को कहता है। उसकी शर्त है कि हीरो राजू रहेगा। फिल्म शुरू हो उसके पहले निर्माता की मौत हो जाती है। शेखर अपने पडोसियों की मदद से फिल्म शुरू करता है, लेकिन उसका और राजू का ईगो आडे आता है। किस तरह से शेखर फिल्म पूरी करता है, और मानसी को फिर पाता है, ये फिल्म का सार है। फिल्म में हास्य काफी उबाऊ नजर आ रहा है। अगर फिल्म में हंसी आती है तो वो तब जब अक्षय और अरशद एक साथ होते है। फिल्म की शुरूआत अच्छी है और उम्मीद जगाती है कि एक उम्दा फिल्म देखने को मिलेगी। राजू के स्क्रिप्ट चुराने तक फिल्म में पकड है।
इसके बाद शेखर और मानसी की प्रेम कहानी और उनका झगडा फिल्म को बोझिल बना देता है, और अभिमान की याद दिलाता है। शेखर जब फिल्म बनाना शुरू करता है, तब फिल्म में फिर पकड आती है, लेकिन क्लायमैक्स में मामला फिर बिगड जाता है। अक्षय खन्ना ने अपना रोल पूरी गंभीरता से निभाया है। फिल्म में अमृता राव काफी सेक्सी लगी है। अमृता राव के हिस्से में थोडे-बहुत गाने और दृश्य आएं।
हर फिल्म में अरशद वारसी एक जैसा अभिनय कर रहे है, लेकिन फिर भी वे हंसाते है। चंकी पांडे ने अभिनय के नाम पर तरह-तरह के मुंह बनाए है। संजय दत्त और अनिल कपूर एक गाने में नजर आएं, लेकिन बात नही बनी। शंकर-अहसान-लॉय का संगीत उनके प्रतिष्ठा के अनुरूप नही है। केवल एक गीत "निकल भी जा" याद रहता है।

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