Friday, October 23, 2009

जादू, तिलिस्म, एक्शन और रोमांच से भरपूर: "अलादीन"

Aladin

भारत को जादू-टोने, तिलिस्मों और अंधविश्वासों वाला देश माना जाता हैं। बॉलीवुड भी इससे अछूता नहीं हैं और इससे जुडे विषयों पर फिल्में बनाने का हिंदी फिल्म उद्योग का लंबा इतिहास हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को रिलीज हो रही फिल्म "अलादीन" हैं। हालांकि, अमिताभ बच्चन, रितेश देशमुख और संजय दत्त जैसे कलाकारों से सजे अलादीन का पैमाना इससे पहले बनी सभी बॉलीवुड फिल्मों से ऊंचा और अलग हैं। सुजय घोष द्वारा निर्देशित यह फिल्म "अलादीन के चिराग" की कहानी का आधुनिक रूपांतरण हैं और इसमें व्यावसायिक फिल्म के सभी मसाले इस खूबी से डाले गए है कि कोई आश्चर्य नहीं यदि यह दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहे।

फिल्म की कहानी अलादीन चटर्जी (रितेश देशमुख)से शुरू होती है जो अनाथ है और ख्वैश शहर में रहता हैं। अलादीन को बचपन से ही कासिम और उसके गुर्गे लगातार परेशान करते हैं, लेकिन उसकी जिंदगी में जास्मिन (जैक्लीन फर्नाडिस) का प्रवेश होते ही सबकुछ तेजी से बदल जाता हैं। जास्मिन उसे एक जादुई चिराग देती हैं। जीनियस यानी जेनी (अमिताभ बच्चन) इसी जादुई चिराग का गुलाम है और उसके कहे हर आदेश को उसे मानना पडता हैं। जेनी जल्द से जल्द इस गुलामी से दूर जाना चाहता हैं और इसके लिए वो अलादीन की तीन ख्वाहिशें पूरी करने को भी राजी हैं।
अलादीन को इसके लिए तैयार करने के इरादे से जेनी उसके हर काम में टांग अडाने की कोशिश भी करता हैं। लेकिन यहीं पर कहानी में रिंगमास्टर (संजय दत्त) की एंट्री होती हैं और फिल्म का रूख पूरी तरह बदल जाता हैं। रिंगमास्टर जेनी का पुराना मालिक हैं और वो जेनी को खत्म करने के इरादे से वहां पहुंचता हैं। अलादीन की कहानी में कॉमेडी, एक्शन और रोमांच का बेहतरीन तडका हैं।

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