Saturday, September 25, 2010

कैंसर का पता लगाने में मेमोग्राम ज्यादा प्रभावी नहीं

cancer


महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर का पता लगाने में सहायक मैमोग्राम परीक्षण अब अपेक्षा से कम कारगर साबित हो रहे हैं। साप्ताहिक पत्रिका "न्यू इंग्लैंड जर्नल" में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि स्तन कैंसर का पता लगाने में मैमोग्राफी अब कम प्रभावी साबित हो रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंक़डों के मुताबिक महिलाओं में मैमोग्राफी परीक्षण के बाद 50 वर्ष से अधिक की महिलाओं की मृत्यदर में 25 फीसदी की कमी दर्ज की गई। समाचार पत्र ने "डेली मेल" ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हालांकि नवीनतम समीक्षा में मैमोग्राफी के बाद होने वाले स्तन कैंसर में कमी आई है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। इसके लाभ को निराशाजनक कहा जा सकता है। नार्वे के अनुसंधान दल ने अपने शोध में 50 से लेकर 69 वर्ष की महिलाओं को चुना, जिन्होंने स्तन कैंसर की जांच के लिए नियमिकत रूप से मैमोग्राफी का सहारा लिया था। शोध में पाया गया कि इस दौरान मैमोग्राफी परीक्षण के बाद पहले के मुकाबले स्तन कैंसर से मरने वालों की संख्या में 10 फीसदी की कमी आई। वैसे रिपोर्ट में बताया गया है कि 70 वर्ष और उससे अधिक उम्र के महिलाओं में मैमोग्राफी परीक्षण कारगर साबित हो रहा है। ओस्लो विश्वविद्यालय अस्पताल के शोधकर्ता प्रमुख मेटे कालगेर ने बताया, ""हालांकि यह सच है कि मृत्युदर में कमी आई है, लेकिन यह उम्मीद से कम है।""

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