अभिनेता आर्य बब्बर को अपने माता और पिता के मशहूर कलाकार होने के बावजूद फिल्मी दुनिया में पांव जमाने के लिए क़डा संघर्ष करना प़डा। अभिनेता-राजनेता राज बब्बर और थियेटर कलाकार नादिरा जहीर बब्बर के बेटे आर्य कहते हैं कि वह अब तक संघर्षरत हैं। आर्य ने> कहा, ""यह कहना गलत होगा कि मैं अपनी भूमिकाओं का चुनाव करता था। सच यह है कि मेरे पास काम नहीं था। मैं फिल्में पाने के लिए संघर्ष करता था। वैसे मधुर भंडारकर की फिल्म "जेल" करने के बाद से स्थितियों में थो़डा सुधार हुआ है।"" उन्होंने कहा, ""ऎसा पहली बार हो रहा है कि मैं लगातार तीन फिल्मों में काम कर रहा हूं। इनमें फरहा खान की "तीस मार खां", "रेडी" और एक अन्य फिल्म हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि मुझे इसी तरह काम मिलता रहे। मैं बहुत काम करना चाहता हूं।"" उन्होंने कहा, ""कुछ अभिनेता ऎसे हैं जिन्हें बहुत जल्दी प्रसिद्धी मिल गई तो अक्षय कुमार, सैफ अली खान जैसे कुछ ऎसे कलाकार भी हैं जिन्हें सफलता की सीढि़यां चढ़ने में थो़डा समय लगा। वैसे अब वे अच्छी पारियां खेल रहे हैं। मुझे लगता है कि मैं उन्हीं में से एक हूं।"" वह दिल्ली के ऑस्फोर्ड बुकस्टोर में अपनी किताब "पुष्पक विमान" के विमोचन के लिए आए थे। आर्य ने अमृता राव के साथ राज कंवर की फिल्म "अब के बरस" से करियर की शुरूआत की थी। बाद में उन्होंने "गुरू" और "चमकू" में भी अभिनय किया लेकिन भंडारकर की फिल्म "जेल" से उन्हें सराहना मिली।
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