Wednesday, September 8, 2010

कायम है आशा की मखमली आवाजा का जादू

Asha Bhosle

पद्म विभूषण से सम्मानित और 18 भाषाओं में 12,000 से ज्यादा गीत गा चुकीं आशा भोंसले का सुरों का सफर अब भी जारी है। प्रख्यात पाश्र्व गायिका आशा बुधवार को अपना 77वां जन्मदिन मनाएंगी। वे आज भी बॉलीवुड में मजबूत स्थिति में हैं और उनके ढेरों प्रशंसक हैं।
फिल्मोद्योग में छह दशक गुजारने के बावजूद आज भी उनकी आवाज में पहले जैसी ही ताजगी और खनक है। बहुत कम उम्र में ही अपनी गायकी का करियर शुरू करने वाली आशा ने अलग-अलग तरह के गीत गाए हैं। हिंदी फिल्मोद्योग की मशहूर डांसर हेलन के लिए कई गीतों को आवाज देने के बाद उन्हें कैबरे गायिका कहा जाने लगा था। बाद में 1957 में आई दिलीप कुमार-वैजंतीमाला अभिनीत फिल्म "नया दौर" के "मांग के साथ तुम्हारा" गीत ने उनकी कैबरे गायिका की छवि को तो़ड उन्हें बहुमुखी प्रतिभा वाली एक गायिका के रूप में स्थापित किया। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मु़डकर नहीं देखा। उन्होंने रवि, खय्याम, शंकर जयकिशन और आर.डी. बर्मन जैसे प्रख्यात संगीतकारों के साथ काम किया। बर्मन ने उन्हें उनकी ब़डी बहन व मशहूर गायिका लता मंगेशकर की छांव से बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आशा ने बर्मन के साथ "दम मारो दम" ("हरे रामा, हरे कृष्णा"), "महबूबा महबूबा" ("शोले"), "मेरा कुछ सामान" ("इजाजत"), "पिया तू अब तो आजा" ("कारवां") और "चुरा लिया है तुमने" ("यादों की बारात") जैसे सुरीले गीत दिए। आशा कहती हैं, ""पंचम (बर्मन) में यह अनूठा गुण था कि वे प्रत्येक कलाकार को सहज बना उससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करा लेते थे। वे जानते थे कि मैं गाने को किस तरह से अधिक असरदार बना सकती हूं।""
आशा ने असमिया, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलुगू, उर्दू, अंग्रेजी, रूसी, चेक, नेपाली और मलय सहित 18 भाषाओं में गीत गाए हैं। जब 80 के दशक में "उमराव जान" में उनके "दिल चीज क्या है", "इन आंखों की मस्ती" और "ये क्या जगह है दोस्तों" जैसे गीत आए तो उन्होंने सभी को रोमांचित कर दिया। उनका फिल्मी तरानों का सफर आज भी जारी है।

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