In a 2006 article on ESPN.com, Turner is featured during hunting season in which he annually gets a gobbler...Landon Turner - The hunter
Wednesday, March 31, 2010
Landon Turner: what could have been
In a 2006 article on ESPN.com, Turner is featured during hunting season in which he annually gets a gobbler...Landon Turner - The hunter
Tuesday, March 30, 2010
Monte Towe: Small but mighty
N.C. State had superstar David Thompson, but the engine of the team was a 5'7" point guard from Converse, Indiana named Monte Towe...during his time at N.C. State (1972-74), Towe was named to the 1974 All-Tournament team and was also an All-ACC selection...
The Wolfpack posted a 79-7 overall record during Towe's three-year career, including a 57-1 stretch from 1972-73 (27-0) and 1973-74 (30-1)...the Wolfpack won two ACC titles (1973 and 1974), and Towe did not lose a conference game until his senior season...
Because dunking was illegal in that era, Towe and Thompson are credited with "inventing" the alley-oop...Towe would throw the ball to Thompson while he was in the air and Thompson would gently drop the ball in the basket...
Towe was drafted by the Denver Nuggets in the third round of the 1975 ABA draft and by the Atlanta Hawks in the fourth round of the 1975 NBA Draft...he joined Thompson in Denver...
After his playing career, Towe got into coaching as he served as Norm Sloan's assistant at N.C. State (1979-80) and then at Florida (1981-89)...Towe later served as general manager and coach in the Global Basketball Association...
In 2000, Towe landed his first legitimate head basketball coaching job at the University of New Orleans....he compiled a 70-78 record over five seasons before leaving to become associate head coach at North Carolina State under current head coach Sidney Lowe (photo, above)...
Monday, March 29, 2010
सलमान के सामने चुप रहती है जरीन
बॉलीवुड अभिनेत्री जरीन खान जब भी अभिनेता सलमान खान के साथ बाहर जाती है तो वो चुप रहना ही बेहतर समझती है। इतना ही नहीं वो सलमान के साथ कहीं भी कभी भी ज्यादा बोलने की हिम्मत नहीं करती है।
खबरों के अनुसार जरीन को फिल्मों में लाने वाले सलमान हमेशा उनका ख्याल रखते है और इस बात का भी ख्याल रखते है कि इंडस्ट्री में जरीन की मुलाकात अच्छे लोगों के साथ हो। वैसे सलमान के बारे में ये मशहूर है कि वो जिसका भी साथ देते है पूरे मन से देते है और इस बात में जरीन को जरा भी शक नहीं है।
बताया जा रहा है कि सलमान जरीन के करियर में पूरा इंट्रेस्ट लेते है और सलमान की शख्सीयत से प्रभावित जरीन उनके सामने बोलने की हिम्मत भी नहीं करती है।
नील ने किया स्टंट दृश्यों का निर्देशन
बॉलीवुड अभिनेता नील नितिन मुकेश बैंकाक में ताइक्वांडो का गहन प्रशिक्षण लेने के बाद केवल मार्शल आर्ट का प्रदर्शन ही नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्होंने अंतर्वस्त्र से जुडे एक विज्ञापन में एक्शन दृश्यों का निर्देशन भी किया है।
नील ने कहा, मेरी योजना आने वाले दिनों में अपनी एक फिल्म का निर्देशन करना है और यह मैं जल्द ही करूंगा। इस बीच बैंकाक में मैंने अंतर्वस्त्र जेन-एक्स के विज्ञापन से जुडे सभी स्टंट दृश्यों का निर्देशन किया है।
आप कह सकते है बतौर निर्देशक मेरे करियर की शुरूआत हो चुकी है। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते शूटिंग छोडकर अचानक नील ताइक्वांडो सीखने के लिए बैंकॉक चले गए थे।
केटी से बोर होने लगे हैं रसेल
पॉप गायिका केटी पेरी और उनके ब्रिटिश बॉयफ्रेंड रसेल ब्रांड के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। खबर है कि रसेल अब इस रिलेशनशिप से बोर हो गए हैं। उन्हें अब केटी का साथ ज्यादा रास नहीं आ रहा है।
रसेल का कहना है कि वे केटी को पसंद करते है, लेकिन अब उनके साथ कमिटेड होकर वे बोर हो गए हैं। वहीं रसेल को जानने वाले उनकी इस बात से जरा भी आश्चर्यचकित नहीं हैं, क्योंकि उनके अनुसार, रसेल को लडकियां बदलने की आदत है और रसेल को जानने वालों ने केटी को पहले भी इस बात से आगाह किया था।
गौरतलब है कि केटी और रसेल की मुलाकात पिछले साल एक म्यूजिक अवॉर्ड के दौरान हुई थीं और तब से दोनों एक कमिटेड रिलेशनशिप में थे। अब देखना यह है कि रसेल के इस बयान से केटी और रसेल का रिश्ता क्या मोड लेता है।
केट को वीआईपी स्मोकिंग एरिया
सुपरमॉडल केट मॉस को स्मोकिंग करने की ऎसी आदत लगी है कि वे कहीं भी जाएं उनसे स्मोकिंग करना नहीं छोडा जाता। केट को अब अपने दोस्तों के साथ लंदन के सबसे पॉश सेलेब्रिटी हॉटस्पॉट में अलग से स्मोक करने के लिए एक वीआईपी स्मोकिंग एरिया दे दिया गया है।
ऎसा इसलिए किया गया है, ताकि मॉस को यहां वहां बाहर खडे होकर स्मोक न करना पडे। पहले उन्हें स्मोक करने के लिए जगह ढूंढनी पडती थीं लेकिन अब ऎसा नहीं होगा। मॉस वीआईपी एरिया में भी धडल्ले से धुआं उडा सकेंगी। मॉस अक्सर अपने खास दोस्तों के साथ इस लाउन्च में देखी जाती है, अब वे इत्मिनान से एक अलग कमरे में बैठकर अपने साथियों के साथ सिगरेट पी सकेंगी।
अभी मैं अकेली हूं: तनुश्री
बॉलीवुड अभिनेत्री तनुश्री दत्ता का कहना है कि वो अपने रिश्तों के बारे में कभी कुछ छिपाती नहीं है। उनका मानना है कि इंडस्ट्री में जिस तरह से खबरें उडती है उससे उन्हें कोई फर्क नहीं पडता है, लेकिन लोग कभी-कभी हदें पार कर जाते है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो अभी अकेली है या फिर किसी के प्यार में गिरफ्तार है।
तनुश्री का जवाब था कि वो झूठ नहीं बोलती है और अभी वो अकेली है। तनु के मुताबिक रिश्ते बेहद पेंचीदा होते है और आप ये नहीं जान सकते कि जो कुछ भी हो रहा है, वो सही है या फिर गलत। इसके अलावा इंडस्ट्री में कई ऎसे उदाहरण है, जिनमें कलाकार ने अपने प्यार को इजहार करके अपने करियर को ब्रेक लगा दिया। वो ऎसा कभी नहीं करना चाहती है। वैसे भी तनुश्री अपनी निजी जिंदगी को छिपा कर रखना ही बेहतर समझती है।
अब खतरनाक स्टंट नहीं करेंगे जैकी चैन
हॉलीवुड अभिनेता जैकी चैन अब फिल्मों में खतरनाक स्टंट नहीं करेगे। 55 साल जैकी चैन अब खुद को स्टंट दृश्यों के लिए बूढा मानने लगे है। जैकी को मार-घाड वाले दृश्यों को भी करने में दिक्कत होने लगी है, क्योकि किक मारते समय अब उन्हें तकलीफ होती है।
अभिनेता ब्रैड पिट आज-कल काफी बोर हो रहे है। उनके पास फिलहाल अपने और एंलेलिना के पांच बच्चों को संभालने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं नहीं है। अपनी बोरियत दूर करने के लिए ब्रैड ने दाढी बढानी शुरू कर दी है। हमेशा खूबसूरत दिखनेवाले ब्रैड आज-कल बडे बालों में नजर आ रहे है।
अभिषेक अर्थ ऑवर 2010 का हिस्सा नहीं बन पाए
अर्थ ऑवर 2010 के ब्रांड एंबेसडर अभिनेता अभिषेक बच्चन शनिवार को इंडिया गेट पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाए। उन्होंने सोशल नेटवर्किग वेबसाइट टि्वटर पर टिप्पणी की है कि शूटिंग की व्यस्तता की वजह से वे कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो पाए।
अभिषेक ने टि्वटर पर पहले टिप्पणी की, मुझे एंबेसडर के तौर पर इंडिया गेट पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित रहना था लेकिन फिल्म की शूटिंग को लेकर पहले किए गए वादे की वजह से मैं इसमें शामिल नहीं हो सका। मुझे गोवा जाना पडा। पर्यावरण को बचाने के लिए अर्थ ऑवर की अवधारणा वर्ष 2007 में सिडनी में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने दी थी। दुनियाभर में 27 मार्च को रात 8:30 से 9:30 बजे के बीच लोगों ने बत्तियां बंद रखी थी।
रैंप पर उतरीं मां-बेटी
बॉलीवुड अदाकारा ईशा देओल ने विल्स फैशन वीक में पांरपरिक लहंगा पहनकर वधु के परिधान के साथ प्रवेश किया। बी श्रेणी के शहरों में लोकप्रिय डिजाइनर राकी एस के लिए मां और बेटी दोनों शो स्टापर थीं। 28 वर्षीय अदाकारा ईशा कुछ समय के लिए फिल्मों से दूर हैं। ईशा ने मैरून और हरे रंग का लंहगा चुन्नी पहना था। वहीं हेमा मालिनी नारंगी रंग की साडी पहने हुई थीं।
ईशा ने कहा, वे वधु के परिधान में रैंप पर चलकर बेहद खुश हैं और निकट भविष्य में उनका शादी का इरादा नहीं है। ड्रीमगर्ल (हेमा मालिनी) नाम से विख्यात रहीं वरिष्ठ अभिनेत्री के आते ही पहली पंक्ति में बैंठे दर्शकों ने खडे होकर तालियां बजाई।
जैक्सन से गागा की तुलना
पॉप गायिका लेडी गागा की तुलना दिवंगत पॉप गायक माइकल जैक्सन से की गई है। एक अग्रेजी वेबसाइट के मुताबिक निर्माता रॉडनी जेरिकिंस ने किंग ऑफ पॉप से गागा की तुलना की। उन्होंने गागा की खूब तारीफ की। रॉडनी ने कहा कि गागा के काम को देखकर उन्हें जैक्सन याद आ जाते हैं।
उन्होने कहा, मैंने लंबे समय से ऎसे कलाकार को नहीं देखा था। मुझे गागा के साथ काम करने से खुशी मिलती है।
वेल डन अब्बा फिल्म भष्ट सरकारी तंत्र का करती है पर्दाफाश
निर्देशक : श्याम बेनेगल
संगीतकार: शांतनु मोइत्रा
कलाकार : बोमन ईरानी, समीर दत्तानी, मिनिषा लांबा, ईला अरूण, सोनाली कुलकर्णी, रजत कपूर, रवि किशन, यशपाल शर्मा।
फिल्मों के लिए अपनी पहचान बना चुके श्याम बेनेगल की इस फिल्म में भी उन दर्शकों के लिए बहुत कुछ है, जो मनोरंजन के साथ कुछ नया और अलग देखना चाहते हैं। वेल डन अब्बा, वेलकम टू सजनपुर से आगे की कडी लगती है। लेकिन इस फिल्म का विषय बेनेगल की अन्य फिल्मों की तरह सामाजिक तंत्र को बेनकाब करता हुआ। फिल्म की कहानी आंध्र प्रदेश के एक गांव की है। आंध्रप्रदेश श्याम बेलेगल का अपना राज्य है। वहां की भाषा और द्श्य सदैव से बेनेगल की फिल्मों में पूरी जीवंतता के साथ उतरते रहे हैं।
फिल्म की कहानी : -छुट्टी के बाद ड्राइवर अरमान अली (बोमन ईरानी)अपने गांव से मुंबई लौटता है तो उसका मालिक उसे किसी भी सूरत में नौकरी पर वापस रखने को राजी नहीं होता। दरअसल , अरमान अपने मालिक से एक महीने की छुट्टी लेकर गया था और वापस आया तीन महीने में। बस यही वजह है कि इसस बार मालिक अरमान का कोई बहाना सुनने को तैयार नही होता। लेकिन अचानक मालिक को जरूरी काम से पुणे जाना पडता है तो वह अरमान को एक बार फिर कार चलाने का मौका देता है। इसी सफर में अरमान उसे अपनी आपबीती सुनाता है। इस आपबीती में अरमान का जुडवां निठल्ला भाई रहमत अली (बोमन ईरानी) और उसकी बेगम सलमा (ईला अरूण) से लेकर साउथ में अरमान का ऎसा गांव है, जहां इंसानी जिंदगी से पानी ज्यादा मंहगा है। गांव में अपने चाचा चाची के साथ रह रही अरमान की बेटी मुस्कान (मिनिषा लांबा) बारहवीं क्लास में पढती है और अपने अधिकारों की लडाई लडने का दम रखती है। अरमान अपनी पुश्तैनी जमीन को खेती के लायक बनाने के मकसद से पानी की बावडी बनाने के लिए सरकारी अनुदान लेता है। पर इस चक्कर में वह ऎसे चक्रव्यूह में फंसता है, जहां सिर्फ अफसरशाही, भष्टाचार और सरकार तक शामिल है।
क्या देंखे :- अरमान अली के रूप में बोमन ईरानी की अभिनय बेहतरीन है लेकिन अरमान के जुडवा भाई के रूप में उन्होने थोडी ओवर एक्टिंग की है। मिनिषा लांबा का यह अब तक सबसे अच्छा अभिनय कहा जा सकता है। रवि किशन,रजत कपूर, इला अरूण, समीर दत्ता, राजेन्द्र गुप्ता ने भी अपना काम अच्छे से किया है। अगर आप श्याम बेनेगल की फिल्मों के शौकीन है तो फिल्म आपके लिए है और भष्ट सरकारी तंत्र का पर्दाफाश फिल्म की खासित है।
All-Stiles Points Team
Starting Five
Small forward - Lenny Bias, Maryland - Bias (photo above) was a Jordan-like player who could score from anywhere on the floor...
Power forward - Christian Laettner, Duke - he may have been the most hated college player during his playing days, but Laettner was like money in the bank...he was the best clutch player that I have seen in college basketball...
Shooting guard - Chris Mullin, St. John's - (photo, right) the best pure shooter in the Big East Conference during its heydays of the 1980s...he led St. John's to the Final Four in 1985...
Bench
Shooting forward - Glen Rice, Michigan - I need a forward who is a deadly pure outside shooter and Rice fits that mold...his role would be to shoot, shoot, and shoot from the outside...
Friday, March 26, 2010
बेटी के साथ छ्ट्टीयां बिता रही हैं एंजेलिना
हॉलीवुड अदाकारा एंजेलिना जोली इन दिनों अपनी 20 माह की बेटी के साथ समय बिता रही हैं।
एक वेबसाइट के मुताबिक 34 वर्षीया जोली फिल्म की शूंटिग से छुट्टी लेकर बेटी से मिलने आई हैं। वे फिल्म द टृरिस्ट की शूंटिग में व्यस्त थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इन दिनों अदाकारा एंजेलिना जोली अपनी बेटी को सबसे अधिक समय दे रही हैं।
खान मार्केट में फंस गई रानी
सिलेब्रिटीज ऎसी जगह जाना पसंद करते है, जहां उन्हें कोई नहीं जानता। लेकिन वे जहां भी जाते है वहीं भीड लग जाती है। दिल्ली में हू किल्ड जेसिका की शूटिंग कर रही अभिनेत्री रानी मुखर्जी के साथ भी कुछ ऎसा ही हुआ। कुछ दिनों पहले दोपहर के वक्त रानी ने सोचा कि सिंपल ड्रेस पहनकर बाहर का लुत्फ उठाया जाए। बस फिर क्या था, वह सिंपल ड्रेस में अपने होटल से कुछ दूरी पर स्थित खान मार्केट पैदल ही पहुंच गई। थोडी देर नजरें बचाकर इधर-उधर घूमना रानी को बहुत अच्छा लगा। लेकिन, तभी उन्हें महसूस हुआ कि कुछ लोग उन्हें घूर रहे है। तभी किसी ने रानी का नाम लेकर पुकारा। बस फिर क्या था, वहां अच्छी खासी भीड लग गई। बेचारी रानी ने तुरंत ड्राइवर को फोन करके बुलाया और तुरंत होटल पहुंच गई।
दादीसा की सहेली की भूमिका में साक्षी
टीवी सीरियल कहानी घर-घर में पार्वती भाभी का किरदार निभाने वाली साक्षी तंवर अब बहुत चर्चित धारावाहिक बालिका वधू में एक अहम रोल में नजर आएंगी। अपने नए किरदार को लेकर साक्षी काफी उत्साहित है।
साक्षी ने बताया कि उन्होने पिछले सप्ताह से बालिका वधू के लिए शूंटिग शूरू की है। बालिका वधु में साक्षी दादी सा की बचपन की सहेली की भूमिका निभाने जा रही है। दादी सा की जिंदगी से गायब हो चुकी साक्षी लंबे अर्से के बाद उनसे मिल रही है। साक्षी ने बताया कि यह काफी चुनौती भरा किरदार है और इसमें काफी शेड्स देखने को मिलेगे। मेरा कैरेक्टर काफी रहस्यमय है।
उल्लेखनीय है कि साक्षी तंवर पिछले लंबे समय से टीवी से दूर है हालाकि जीटीवी के दो सहेलिया किस्मत की कठपुतलियां और सलून एंड कॉफी हाउस मे कैमियों रोल किए थे।
काम पर लौटकर काफी खुश हूं: लोपेज
हॉलीवुड अभिनेत्री और गायिका जेनिफर लोेपेज लंबे आराम के बाद काम पर लौटकर काफी खुश हैं। लोपेज ने कहा कि अब वे अपनी आगामी फिल्म द बैकअप प्लान पर ध्यान केंद्रित करेंगी।
लोपेज ने कहा कि काम पर लौटना अच्छा लग रहा है। मैंने काफी काम किया है। मैं अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए थोडे वक्त के लिए काम से दूर हो गई थीं। मेरे लिए काम से दूर जाना भी एक चुनौती की तरह था। अब मैं लौटकर खुश हूं। लोपेज ने फरवरी 2008 में जुडवां बच्चों को जन्म दिया था।
लोपेज की आगामी फिल्म एक गर्भवती महिला पर आधारित है और यही कारण है कि वह इस फिल्म को लेकर काफी खुश है। क्योंकि इसमें वह अपने गर्भावस्था के अनुभवों से लाभ उठाना चाहती है।
सोनम को पढाया टाइम मैनेजमेंट का पाठ
बतौर डायरेक्टर अपनी फिल्म मौसम बना रहे जाने-माने अभिनेता पकंज कपूर ने अपनी फिल्म की हीरोइन सोनम कपूर को टाइम मैनेजमेंट का अच्छा पाठ पढाया है। गौरतलब है कि पंकज ने काफी खोजबीन के बाद सोनम को अपने बेटे शाहिद कपूर के अपोजिट साइन किया है और वह चाहते है कि वह बढिया परफॉर्म करें। ऎसे में पिछले हफ्ते पंकज ने अपने अंधेरी स्थित ऑफिस में दोनों ऎक्टर्स को ऎक्टिंग वर्कशॉप के लिए बुलाया।
सूत्रों के अनुसार सोनम पहले ही दिन 40 मिनट लेट पहुंची और यह जानकर हैरान रह गई कि वर्कशॉप कैंसल हो गई है। सावधान हो चुकी सोनम अगले दिन टाइम से वर्कशॉप अटेंड करने पहुंची, लेकिन तीसरे दिन फिर वह 20 मिनट लेट हो गई। जब वह पंकज के ऑफिस पहुंचने ही वाली थीं कि उन्हें एसएमएस मिला की वर्कशॉप कैंसल हो गई है। इस तरह सोनम को लेट होने की सजा मिल गई और साथ ही सबक भी।
असिन ने किया दीपिका को रिप्लेस
बॉलीवुड अभिनेत्री असिन ने लंदन ड्रीम्स के बाद अभिनेता सलमान खान के साथ एक और फिल्म साइन कर ली है। दिलचस्प बात यद्द है कि असिन ने दीपिका पादुकोण को फिल्म में रिप्लेस किया है।
गजनी के बाद सलमान के साथ लंदन ड्रीम्स से असिन के अभिनय को काफी सराहा गया था। सूत्रों के अनुसार फिल्म लंदन ड्रीम्स के दौरान सलमान और असिन की ऑफ स्क्रीन केमेस्ट्री भी काफी अच्छी रही। हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिटी लेकिन सलमान लगातार असिन के संपर्क में रहे।
गौरतलब है कि सलमान ने असिन को मुंबई में अपार्टमेंट दिलाने में भी मदद की। असिन को ये फिल्म दिलाने में सलमान की बडी भूमिका रही। सलमान असिन की ये फिल्म साउथ की एक फिल्म की रिमेक है।
हॉलीवुड की फिल्मों में दिव्या
फिल्म वेलकम टू सजनपुर और मॉनिंग वॉक में उम्दा अभिनय कर दर्शकों की प्रशंसा बटोरने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री दिव्या दत्ता को हॉलीवुड की फिल्मों में काम करने का प्रस्ताव मिला है।
दिव्या ने बताया कि उनके पास हॉलीवुड की कई फिल्में हैं। इनमें से एक है निर्देशक जेनिफर लिंच की फिल्म हिस्स, जिसकी कहानी एक इच्छाधारी नागिन के इर्दगिर्द बुनी गई है, जो अपने इच्छानुसार खुद को इंसान के रूप में बदल लेती है। फिल्म में मल्लिका शेरावत मुख्य किरदार निभा रही है, जबकि दिव्या इरफान के साथ प्रेमी जोडे के रूप में नजर आएंगी। दिव्या ने बताया, मैंने एक चुनौतीपूर्ण किरदार को स्वीकार किया है। मैंने इरफान की प्रेमिका के तौर पर इसमें काम किया है। फिल्म में मेरी भूमिका अच्छी है। हिस्स के अलावा दिव्या के पास हॉलीवुड की दो और फिल्में है। इसमें एक एम्मी पुरस्कार विजेता निर्देशक फ्रेड होल्म्स की हार्ट लैंड शामिल है।
नाना और ऋषि के साथ नजर आएंगी डिम्पल
बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा डिम्पल कपाडिया जल्द ही अभिनेता नाना पाटेकर और ऋषि कपूर के साथ नजर आएंगी। डिम्पल फिल्म तुम मिलो तो सही में नाना पाटेकर के साथ और पटियाला हाउस में ऋषि कपूर के साथ पर्दे पर नजर आएंगी। उन्होंने कहा कि दोनों अभिनेताओं के साथ काम करने का अनुभव अलग-अलग है।
डिम्पल ने कहा जब मुझे पता चला कि नाना के साथ काम करना है, तो मैं सहम गई। उनके साथ काम करना आसान नहीं है। उनके साथ काम करना चुनौती भरा है। दोनों इससे पहले वर्ष 1994 में प्रदर्शित फिल्म क्रांतिवीर में नजर आए थे। फिल्म तुम मिलो तो सही दो अप्रैल को प्रदर्शित होने वाली है।
दूसरी ओर ऋषि कपूर के साथ काम करने के बारे में डिम्पल ने कहा, ऋषि के साथ काम करने से एक ऊर्जा मिलती है। मैं उन्हें एटम बम समझती हूं। मैं उनके साथ आज के दौर में काम करने से बेहद खुश हूं।
मैं पूरी तरह अकेली हूं: सुष्मिता
बॉलीवुड अभिनेत्री सुष्मिता सेन का कहना है कि वह पूरी तरह अकेली है। 34 वर्षीय सुष्मिता ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया है कि दूल्हा मिल गया के निर्देशक मुदस्सर अजीज से अलग होने के बाद वह अपने पूर्व पे्रमी मानव मेनन के साथ फिर से जुड गई है।
सुष्मिता ने कहा कि मैं अकेली हूं और अकेलेपन का मजा ले रही हूं। मैं उस तरह की इंसान नहीं हूं जो अपने संबंधों को छिपाता है। जब मैं किसी के प्यार में मशगूल थीं तो उसे हर कोई जानता था, लेकिन जब सुष्मिता से पूछा गया कि क्या वह मेलजोल बढाने को तैयार है तो उन्होंने कहा कि मैं ऎसा नहीं कर रही हूं।
Wednesday, March 24, 2010
Mateen Cleaves: his name is "magical" at MSU
Cleaves was the Spartans only three-time All-American and was named Big Ten Player of the Year twice...he is the Big Ten's all-time leader in career assists with 816...in his final home game on senior night, Cleaves dished out 20 assists, breaking the Big Ten single-game and career assist marks...
But Cleaves' success never translated at the NBA level...he was drafted 14th overall by the hometown Detroit Pistons...he lasted just six years in the NBA - mainly as a bench warmer...he then played for the U.S. D-League and for teams in Europe before finally calling it career after the 2009 season...
Ron Mercer: a flash and he was gone
Pitino recruited Mercer from the state of Tennessee where he was a Parade and McDonald's All-American...during his freshman year, Mercer averaged 8 points per game but showed his talent during the Final Four as he was named to the All-Final Four team...
Mercer's stock rose during his sophomore season as he averaged 18.1 ppg...
Mercer left Kentucky after his sophomore year and was the 6th overall pick by the Boston Celtics...his growth on the court did not continue in the NBA as he played for seven different teams during his nine year career...his time in NBA ended after the New Jersey Nets cut him in August 2005...Mercer earned about $35 million during his time in the bigs...
Tuesday, March 23, 2010
गुस्से में शाहरूख
सोशल नेटवर्किग साइट टि्वटर एक ऎसा प्लेटफॉर्म बन चुका है जिसके जरिए फैंस अपने फेवरेट स्टार्स से कम्युनिकेट कर सकते है, लेकिन कई बार फैंस ऎसी साइट्स का गलत फायदा उठाने लगते है और बेतुके सवाल पूछ कर उन्हें परेशान करने लगते है। ऎसा ही कुछ हुआ बॉलीवुड के बादशाह शाहरूख खान के साथ।
शाहरूख को फैंस ने टि्वटर के जरिए ये कहा कि वो इस्लाम को मानते है तो इतनी शराब और सिगरेट क्यों पीते है। इतना ही नहीं शाहरूख से उनके धर्म को लेकर भी फैंस बेतुके सवाल पूछ रहे है, जिससे शाहरूख का पारा चढ गया है। शाहरूख ने कहा, मैं क्या पीता हूं क्या खाता हूं इससे मेरे धर्म का क्या संबंध है, ये तो मेरी निजी रूचि है मैं अपनी मर्जी से जीने का हकदार हूं। कोई मुझे ये न बताए कि मुझे अपने धर्म का सम्मान कैसे करना चाहिए। ऎसा ही एक वाक्या करण जौहर के साथ घट चुका है जिनसे टि्वटर के जरिए ये पूछा गया था कि वो गे है या नहीं।
सोनू निगम का चेहरा जलने से बाल-बाल बचा
मशहूर पाश्र्वगायक सोनू निगम का चेहरा यहां एक कार्यक्रम के दौरान जलने से बाल-बाल बच गया। जोहान्सबर्ग के एम्परर्स पैलेस में मंच पर एक कार्यक्रम पेश कर रहे 36 वर्षीय सोनू दुर्घटनावश उस ओर चले गए जहां किनारे के हिस्से में वह उपकरण रखे थे, जिनसे आग निकलती है।
कार्यक्रम के दौरान इन उपकरणों से आग की लपटें निकलनी थीं और सोनू को उनके बीच प्रस्तुति देनी थीं। कार्यक्रम से पहले सोनू ने लगभग नाराजगी जाहिर करते हुए मंच से ही तकनीशियनों से कहा था आप लोग क्या कर रहे है। क्या आप मेरा चेहरा जलाना चाहते है। मंच पर उनके साथ उनके पुत्र नवीन ने ऑल इज वेल गीत पर कार्यक्रम पेश किया।
शाहिद के आगे हारे परमीत सेठी
बॉलीवुड अभिनेता शाहिद कपूर ने आज इंडस्ट्री में अपना अलग स्थान बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इस सफलता ने उन्हें थोडा बहुत नखरीला भी बना दिया है। उनके इन नखरों के दर्शन यशराज बैनर की फिल्म बदमाश कंपनी के सेट पर हुए, जहां निर्देशक परमीत सेठी को शाहिद के आगे हार माननी पडी।
यूनिट से जुडे एक सूत्र के अनुसार परमीत फिल्म के एक दृश्य में शाहिद को एक खास पोशाक पहनाना चाहते थे, लेकिन शाहिद ने इसे पहनने से साफ इंकार कर दिया। परमीत के लाख मनाने और समझाने के बावजूद शाहिद टस से मस नहीं हुए। अंतत: परमीत को ही घुटने टेकने पडे और शाहिद की पसंद की पोशाक लानी पडी।
अभी भी अधूरे है अमिताभ के सपने
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चान की कुछ इच्छाएं ऎसी है जो आज भी पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि अब वह अपने काम से थोडा समय निकालकर जल्द से जल्द इन इच्छाओं को पूरा करना चाहते है।
अमिताभ बताते है, कुछ समय पूर्व मुझे एक पियानो गिफ्ट में मिला था। मैंने अकेले में कई बार इसे बजाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा। जब भी मैं इसे अपने घर में देखता हूं, मेरी इसे बजाने की इच्छा होने लगती है। ईश्वर ने चाहा तो मैं जल्द ही इसे बजाने लायक हो जाऊंगा। काफी समय पहले मैं पंडित रविशंकर का सितार सुना करता था। उस वक्त मैंने कई बार इस साज को बजाने की कोशिश की, लेकिन ऎसा नहीं हो पाया। मुझे लगता है कि अब अपने सपने को पूरा करने का वक्त आ गया है।
अमिताभ कुछ देसी-विदेशी भाषाएं भी सीखना चाहते है। इस बारे में उनका कहना है, मेरी चाहत है कि मैं फ्रेंच और स्पेनिश जैसी भाषाएं धाराप्रवाह से बोल सकूं। आज मैं इन्हे सीखना शुरू नहीं करता, तो फिर कभी नहीं सीख पाऊंगा। इसके अलावा मैं मलयालम भी बोलना चाहता हूं। मुझे बताया गया है कि यह बहुत मुश्किल भाषा है, लेकिन मैं इसे भी सीख ही लूंगा।
रीमेम्बर मी को लेकर काफी परेशान है पैटिन्सन
हॉलीवुड अभिनेता रॉबर्ट पैटिन्सन अपनी आगामी फिल्म रीमेंबर मी को लेकर काफी परेशान है, दरअसल उनको लगता है कि यह फिल्म एक हैप्पी रोमांटिक ड्रामा नहीं है और हो सकता है कि दर्शक इस फिल्म को ना पचा पाएं।
एक वेबसाइट के अनुसार रॉबर्ट खुद हैप्पी रोमांटिक ड्रामा देखना पसंद करते है, ऎसे में उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक कहीं इस फिल्म को नकार न दें। गौरतलब है कि टि्वलाइट में अभिनय के बाद पैटिंसन को हॉलीवुड में एक नई पहचान मिली है और दुनिया भर में उनके ढेर सारे फैन्स है।
Eric Montross: the Carolina giant
Montross had a solid career at North Carolina as he helped the Tar Heels beat Michigan for the 1993 national title...he was named an All-American as a junior and senior...Montross was drafted with the 9th overall pick by the Boston Celtics...he played for six different NBA teams...during his career, he averaged 4.9 points and 4.6 rebounds...
Montross is now an announcer for North Carolina basketball...interestingly, Montross was the alleged "bag man" who paid off John Edwards' mistress during the early stages of that extra marital affair...
Monday, March 22, 2010
अब दोबारा भारत नहीं आ सकती लिंडसे
फिल्म मीन गल्र्स की अभिनेत्री लिंडसे लोहान का अब भारत आना मुश्किल हो सकता है। लिंडसे ने झूठा दावा किया था कि उन्होंने बीबीसी के एक वृत्तचित्र के लिए काम करने के दौरान 40 बाल मजदूरों को बचाया था और पर्यटक के रूप में यात्रा करते हुए देश के वीजा नियमों को तोडा था। उन्होंने टि्वटर पर लिखा था कि अब तक 40 से भी ज्यादा बच्चे बचाए गए, केवल एक दिन के काम में। इसी को जिंदगी कहते है।
वहीं सामाजिक कार्यकर्ताओं का दावा है कि जिस समय मिठाई की दुकानों पर काम करने वाले 40 बच्चों को छुडाया जा रहा था, लिंडसे आसपास कहीं नहीं थीं। अधिकारियों के अनुसार, लोहान फिर से भारत की यात्रा नहीं कर सकती। क्योंकि उन्होंने अपनी यात्रा के लिए कार्य वीजा के लिए आवेदन नहीं किया है। सरकार लोहान का नाम अप्रवासियों की ब्लैकलिस्ट में शामिल करने पर विचार करेगी।
अश्लील नहीं है गागा का नया वीडियो एलबम
पॉप गायिका लेडी गागा का कहना है कि उनका नया वीडियो एलबम टेलीफोन अश्लील नहीं है। गागा ने कहा, उनका यह एलबम एक मील का पत्थर है और इसे लंबे समय तक याद किया जाएगा।
एक वेबसाइट के अनुसार गागा के इस नए वीडियो के साढे नौ मिनट के प्रोमो में दिखाया गया है कि वह महिलाओं की एक जेल में बंद है और इस दौरान उन्होंने कई महिलाओं के साथ चुंबन के दृश्य फिल्माए है। गागा के इस एलबम में गायिका बियोंसे नोल्स को भी देखा जा सकता है। गागा ने कहा कि इस एलबम को देखने का अपना नजरिया है और यहीं कारण है कि कुछ लोग इसे अश्लील बता रहे है जबकि सच्चाई इससे परे है।
बहुत अच्छे हैं गौरी-शाहरूख: बिपाशा बसु
फिल्म इंडस्ट्री में लगभग हर सुंदरी भले ही वो विरोधी खेमे की ही क्यों ना हो, बॉलीवुड के बादशाह शाहरूख खान का नाम आते ही उनके दिल में प्यार उमड आता है। अभिनेत्री बिपाशा बसु अपनी चालाकी के लिए इंडस्ट्री में मशहूर हैं, लिहाजा उन्होंने अपना पलडा मजबूत करने के लिए गौरी की तारीफों के पुल भी बांधने शुरू कर दिए हैं।
बिपाशा का कहना है कि शाहरूख जैसे ऊर्जावान कलाकार कम ही होते हैं और उनकी प्रतिभा का कोई सानी नहीं है। शाहरूख की सबसे मजबूत पक्ष गौरी खान हैं और वे उन्हें बहुत पसंद करती हैं। बिपाशा की नजर में गौरी एक शानदार व्यक्तित्व वाली महिला हैं, जो पूर्ण हैं। बिपाशा ने बताया कि सितारों की पत्नियों में सबसे शानदार गौरी ही हैं। बताया जा रहा है कि कुछ ही दिनों पहले बिपाशा ने शाहरूख से अपने फिटनेस डीवीडी वीडियो के लिए एक साक्षात्कार का अनुरोध किया था। गौरी और शाहरूख की ओर से जिस तरह की गर्मजोशी दिखाई गई उससे बिपाशा बहुत ज्यादा प्रभावित हैं।
भारतीय टेलीविजन की सबसे महंगी महिला एंकर होगी प्रियंका
बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपडा भारतीय टेलीविजन की दुनिया की सबसे महंगी महिला एंकर बनने जा रही है। कलर्स चैनल पर आने वाले रियलिटी शो खतरों के खिलाडी के लिए प्रियंका ने इतनी रकम वसूली है, जितनी बॉलीवुड अभिनेत्रियों ने कभी सपने में भी नहीं सोची होगी। प्रियंका को प्रति एपिसोड कथित तौर पर एक करोड रूपए का भुगतान किया जाएगा, जबकि इतनी रकम बॉलीवुड की तमाम अभिनेत्रियां पूरी फिल्म के लिए लेती है।
कलर्स को उम्मीद है कि प्रियंका का ग्लैमर शो की टीआरपी को और ऊपर ले जाएगा। हालांकि, शो के पिछले एंकर और अभिनेता अक्षय कुमार ने इस कार्यक्रम को सुपर हिट करा दिया था, लेकिन प्रियंका के साथ कलर्स नया दावं खेलने को तैयार है। वैसे, प्रियंका ने शो में मिली रकम का खुलासा नहीं किया है। अलबत्ता वो कहती है, मैंने खतरों के खिलाडी के लिए इसलिए हां किया कि यह मेरी पर्सनलिटी से मेल खाता है। मैं बहुत ही एडवेंचरस, आउटगोइंग और स्पोर्टी हूं। मुझे लगा कि इस शो को मैं अच्छी तरह कर सकती हूं। प्रियंका ने बताया कि यह रियलिटी शो दक्षिण अफ्रीका से शिफ्ट होकर ब्राजील जा रहा है। ब्राजील के घने जंगलों और समुद्रतटों पर इसका आनंद ज्यादा बढ जाएगा।
प्रियंका के पति बनेंगे नसीरूद्दीन शाह और उनका बेटा विवान
बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपडा को लेकर फिल्मकार विशाल भारद्वाज फिल्म सात खून माफ बना रहे है। इसमें प्रियंका के सात पति नजर आएंगे। इन सात पतियों के लिए कइयों को चुना गया और हटाया गया। लेकिन अब जो फाइनल लिस्ट बनी है वो इस प्रकार है- नसीरूद्दीन शाह, इरफान खान, नील नितिन मुकेश, जॉन अब्राहम, अन्नू कपूर, विवान शाह और एक विदेशी कलाकार। चौकाने वाले नाम है नसीरूद्दीन शाह और विवान शाह। दोनों के बीच बाप-बेटे का रिश्ता है, लेकिन स्क्रीन पर दोनों प्रियंका के हसबैंड के रूप में नजर आएंगे। इस फिल्म से विवान अपने करियर की शुरूआत करेंगे।
विवान के बडे भाई ईमाद एक-दो फिल्म कर चुके है। नसीर फिल्म में प्रियंका के सबसे अधिक उम्र वाले और विवान सबसे युवा पति बनेंगे। विवान की उम्र महज बीस वर्ष है। फिल्म में प्रियंका का रोल बेहद सशक्त है। कमीने में प्रियंका की शानदार एक्टिंग से प्रभावित होकर विशाल ने उन्हें सात खून माफ की कठिन भूमिका सौंपी है।
हॉट एंड सेक्सी मम्मी करीना
बॉलीवुड अभिनेता शाहरूख खान की होम प्रोडक्शन फिल्म रॉ-1 में अभिनेत्री करीना कपूर आठ वष के बच्चे की मां के रूप में दिखाई देंगी। इसके बावजूद वे हॉट और स्टाइलिश कपडे पहनेंगी। करीना का मानना है कि आजकल की मम्मियो को हॉट और सेक्सी दिखने का हक है।
रॉ-1 में शाहरूख सुपरहीरो की भूमिका में हैं और यह उनकी महत्वाकांक्षी फिल्म है। केवल शाहरूख के कारण ही करीना ने इस फिल्म में काम करने की हामी भरी है। इसके लिए उन्होंने आठ वर्ष के बच्चो की मां बनना भी मंजूर कर लिया।
Corliss Williamson: a Razorback star
Williamson helped the Razorbacks get their only national title in 1994 as they beat Duke with newly elected and native Arkansasian President Bill Clinton in attendance...
Arkansas finished the year at 31-3 and Williamson was named Most Outstanding Player of the NCAA Tournament...Williamson almost led Arkansas to back-to-back titles but fell one game short by losing to UCLA in the 1995 title game...
In three seasons at Arkansas, Williamson was named to the SEC All-Freshman Team in 1993, and was 1st Team All-SEC from 1993 to 1995...he was also named the SEC Player of the Year for the 93-94 and 94-95 seasons
He spent 12 years in the NBA for four different teams...his career highlight came while he played for Detroit...in 2001-02 he was named the NBA's Sixth Man of the Year...in 2003-04 he helped the Pistons win the NBA Championship...
Williamson announced his retirement in September 2007 to become an assistant coach at Arkansas Baptist College...on March 11, 2010, Williamson was announced the men's head basketball coach at the University of Central Arkansas...he is married and has three sons...
Friday, March 19, 2010
Pilipinas Got Talent
Bonus:
The Infamous "End of Publishing" Video
And the girl from "Faster Pussycat, Kill, Kill"
चर्च में शादी करना चाहती हैं कैटी पेरी
मशहूर पॉप गायिका कैटी पेरी अपने मंगेतर रसेल ब्रांड से एक चर्च में विवाह करना चाहती हैं। सूत्रों के अनुसार कैटी के अभिभावक मैरी और कीथ हडसन दोनों ईसाई हैं। कैटी ने रसेल से कहा है कि वह लॉस एंजेलिस में अपने घर के नजदीक की एक जगह पर विवाह करना चाहती हैं।
उन्होंने रसेल के सुझाए हुए होटल में विवाह करने से इनकार कर दिया है। एक सूत्र ने बताया कि कैटी को लगता है कि यदि उन्होंने चर्च में विवाह नहीं किया तो उनके धार्मिक माता-पिता को दुख पहुंचेगा।
मुझे सब चाहते है: जेसिका
हॉलीवुड अभिनेत्री जेसिका सिम्पसन का कहना है कि पुरूषों में उनकी दरकार बहुत ज्यादा है। जेसिका को ये बात अपने प्रशंसकों के जरिए पता लगती रहती है कि उनकी फिल्मों और फोटो शूट की सफलता इस बात का प्रमाण है। वैसे अपने इस बयान के लिए जेसिका ने अपने पूर्व प्रेमी के बयान को आधार बनाया है।
जेसिका के पूर्व प्रेमी जॉन मेयर ने उन्हें सेक्स बॉम्ब बताया था और इस बयान से जेसिका को बहुत ज्यादा खुशी हुई थीं। जेसिका ने कहा कि मेयर की बात में दम है और उन्होंने कुछ भी गलत नहीं कहा है, बल्कि उनकी इस बात से जेसिका के आत्मविश्वास में बढोतरी ही हुई है। लेकिन, जेसिका का कहना है कि पब्लिक प्लेस पर जाते वक्त उन्हें बहुत अनकम्फटेबल महसूस होता है। जेसिका ने बताया, वो जब भी किसी रेस्टोरेंट में जाती है, तो पुरूष उन्हें घूरने लगते है और उनकी निगाहों में ऎसा तीखापन रहता है कि उन्हें अजीब सा महसूस होता है।
खूबसूरत दिखने के लिए 5 लाख पाउंड खर्च करती है रिहाना
खूबसूरत दिखने के लिए सेलेब्रिटीज क्या-क्या नहीं करतीं, कभी प्लास्टिक सर्जरी तो कभी कुछ और यहां तक की सेक्सी दिखने के चक्कर में पैसा भी पानी की तरह बहा देती हैं। ऎसा ही कुछ किया है स्टार सेलेब्रिटी रिहाना ने।
खबर है कि यह सिंगर साल भर में लगभग 5 लाख पाउंड सिर्फ खूबसूरत दिखने के लिए खर्च करती है। इतना ही नहीं रिहाना प्रतिदिन अपने निजी ट्रेनर को 980 पाउंड की राशी का भुगतान करती हैं और यह सब सेक्सी दिखने के लिए। डेली स्टार के अनुसार रिहाना जहां अपनी खूबसूरती को लेकर इस हद तक दीवानी हैं वहीं उन्हें खाने का भी जबरदस्त शौक है और उन्हें चिकन करी बहुत पसंद है।
विश्वसनीय हैं सैफ: करीना
बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर का मानना है कि इंडस्ट्री के जिस खान को उन्होंने अपने लिए चुना है वह सबसे ज्यादा सेफ हैं। करीना ने बताया कि पर्सनल लाइफ के लिए उन्होंने सबसे ज्यादा विश्वसनीय सैफ अली खान का चुनाव किया है और अपने चुनाव पर उन्हें खुशी है। वैसे हर खान से करीना का संबंध अच्छा है।
करीना ने बताया कि वे और सैफ बहुत अच्छे दोस्त हैं और आमिर और शाहरूख परिवार के सदस्यों जैसे है। वैसे जहां तक बात करिश्मा की है, तो उन्हें सलमान खान से ज्यादा कोई भी पसंद नहीं है। करीना ने बताया कि सैफ के साथ अपने संबंधों को लेकर उन्हें कुछ भी छिपाने की आवश्यकता नहीं है और इसी वजह से वे इंडस्ट्री के हॉस्टेस्ट कपल हैं। करीना ने कहा कि अगर आज हम शादी कर लेते हैं, तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होगा लेकिन, अभी शादी के बारे में कोई खास प्लानिंग नहीं की गई है। जिस दिन हम शादी करेंगे, तब पूरी दुनिया को पता चल जाएगा।
मां बनने वाली हैं काजोल
बॉलीवुड अभिनेत्री काजोल फिर मां बनने वाली हैं। देवगन परिवार इस खुशी पर जश्न मना रहा है। अजय देवगन भी इस समय अपने डायरेक्टरों से मुंबई के पास ही शूटिंग करने के लिए कह रहे है, ताकि वह काजोल के साथ समय बिता सके।
काजोल इन दिनों अजय की ही फिल्म तानपुर का सुपरहीरो में काम कर रही हैं। साथ ही वे करण जौहर की फिल्म स्टेपमॉम में भी काम कर रही हैं। एक महीने बाद काजोल एक्टिंग बंद कर देंगी। फिलहाल काजोल और अजय के एक बेटी न्यासा है।
Thursday, March 18, 2010
The Economist -- Banned in Thailand
Some straight talk from The Economist about the Royal Family. Not formally banned, but no magazine distributor will touch this one.
As father fades, his children fight
Behind the present unrest in Thailand lie far deeper fears about the royal succession. And those may not be spoken publicly
Mar 18th 2010
From The Economist print edition
IN TRUCKS, boats and buses, protesters streamed into Bangkok for a non-stop rally that was billed as a “people’s war against the elite”. By March 14th the crowd, all wearing bright red and brimming with elation, had passed 100,000. On the stage, speakers railed against the government and its royal and military enablers. Banners read “No Justice, No Peace”. Another bruising round in Thailand’s protracted power-struggle was under way, with no clear end in sight.
By mid-week the red shirts seemed no closer to their goal of forcing out the prime minister, Abhisit Vejjajiva, and forcing new elections. The army stands squarely behind Mr Abhisit, who took power 15 months ago by a parliamentary fix and remains the hero of Bangkok’s myopic monied classes, as well as the yellow-shirted protesters who support the status quo. But in a one-man, one-vote democracy, the have-nots hold the key to success.
Thailand’s twice-elected and now fugitive former prime minister, Thaksin Shinawatra, understood this well. He has refused to keep quiet since the army ousted him in 2006. A court ruling on February 26th to seize $1.4 billion of his fortune has only made him angrier. Many red shirts consider Mr Thaksin to be the country’s true leader and, despite his enormous wealth and privileged life, make common cause with him.
Ruling-party politicians complain that the lowly red shirts are paid proxies and do not represent mainstream opinion. They bat away the idea that an election may be the only way to prove their point, arguing that an orderly vote is impossible amid the tumult. Most of all, they blame Mr Thaksin for the uproar.
But there is another figure in the political landscape to consider: King Bhumibol Adulyadej, at 82 the world’s longest-reigning monarch. At the rally site, a giant spotlit portrait of him gazed down impassively on the red-shirted crowds. To Thailand’s royalist movement the monarch is the nation’s father, and the “fighting children” on the streets are a source of distress to him. Some fear that Thailand’s troubles may be thwarting King Bhumibol’s full recovery from the respiratory illness that has kept him in hospital since September.
But it is precisely because “father” is on his way out that his “children” are fighting. The death of a monarch is always a moment of national drama and self-reflection. Thais feel a dread of it. Few have known any king other than Bhumibol, who ascended in 1946 to an institution that had slipped into irrelevance. As military rule gave way to a semi-functional democracy, the palace served as a respected power-broker. But its legitimacy depended on the charisma of King Bhumibol and the stealth of his courtiers.
The palace insists that the king is alert and active. But Thais already fear a destabilising royal succession. Investors are especially worried, and the more so because lèse-majesté laws discourage frank talk about it. When a large Thai brokerage polled fund managers about political risk factors in 2010, 42% of respondents chose what the brokerage describes as “a change that cannot be mentioned”. Rumours of King Bhumibol’s death last October sparked a two-day equities sell-off and a furious government witch-hunt for rumour-spreaders. The real thing is likely to outdo that rout.
Thailand has already endured four years of turmoil. The death toll has been low so far, but the rage unleashed last April, when red shirts fought the army in Bangkok, was a glimpse of how deep passions run. Splits within the army itself are starting to appear. Even if fears of all-out civil war seem overblown, it is reasonable to expect more years of political confrontation and paralysis.
The crown itself should pass smoothly. The designated male heir is Crown Prince Maha Vajiralongkorn, aged 57, and there is not much scope for doubt about his claim. A long mourning period, perhaps six months or more, will allow a pause in the political dogfight. Some protagonists may come to their senses and seek a compromise. The death of King Bhumibol would also signal a generational shift in Thailand: younger voices could start to be heard.
But this king will be a most difficult act to follow, and Prince Vajiralongkorn is already widely loathed and feared. Most Thais try not even to think about his accession. “This reign ends. And then, nothing,” says an academic. The next ruler must fill the shoes of a beatified icon whose achievements have been swathed in a personality cult. The role of a crown prince in an era of great longevity and public scrutiny is tough anywhere. In Thailand it verges on the impossible. “How do you follow someone who walks on water?” asks a senior Western diplomat.
Doubts about the prince
This conundrum is a familiar one. King Vajiravudh, Rama VI, who assumed the throne in 1910, had a rough ride in the shadow of his father, King Chulalongkorn, a vigorous moderniser. Even before he ascended to the throne he was tainted by palace gossip of alleged bad behaviour, according to Thongchai Winichakul, a Thai historian at the University of Wisconsin. Vajiravudh was a “fantastic poet and playwright” but an also-ran monarch who was eclipsed by his exalted predecessor. “The royals shot themselves in the foot,” Mr Thongchai told a recent public seminar.
His successor, Prajadhipok, Rama VII, fared worse. A bloodless 1932 coup ended absolute rule and nudged the Thai monarchy towards the margins. Prajadhipok fled to exile in London and abdicated in 1935, deepening the drift. He handed over to Rama VIII, King Bhumibol’s elder brother, who died in 1946 after a mysterious shot to the head. Bhumibol was proclaimed king the same day, and promptly returned to Switzerland to complete his studies.
In 1926 Prajadhipok had written frankly about the shortcomings of dynastic rule. In a letter, he wrestled with the clash between a society in flux and the law of hereditary kingship, a clash that seems to hang over Thailand today. The king’s rule was one “of great difficulty” as public opinion had turned against absolute rule. He fretted over who might be coming next. “Some sort of guarantee must be found against an unwise king,” he wrote.
Nearly a century on, no such guarantee exists. Instead, Thais are faced with the prospect of Prince Vajiralongkorn, a career army officer and fighter pilot, who has already assumed many ceremonial duties from his father. Largely absent in recent years on jaunts around Europe, he is now back in Thailand and in the public eye. The signals are loud and clear. Two weeks after King Bhumibol’s birthday speech, the Bangkok Post ran a stiff, respectful profile of him under the headline: “King in Waiting”.
For Thais used to King Bhumibol’s virtues, which include monogamy, Buddhist piety and old-fashioned thrift, the crown prince is a poor substitute. Salacious stories of his private life are daily gossip. A video circulated widely in 2007 showed his third wife, known as the “royal consort”, at a formal dinner with the prince in a titillating state of undress. Diplomats say Prince Vajiralongkorn is unpredictable to the point of eccentricity: lavishing attention on his pet poodle Fu Fu, for example, who has military rank and, on occasion, sits among guests at gala dinners. In the 1980s his rumoured ties to the criminal underworld, which he denied in a newspaper interview, inspired the gangster nickname of “Sia O”.
In contrast, Princess Sirindhorn, his sister, enjoys a saintly image as a patron of charity. Many Thais are praying for an eleventh-hour change that installs her on the throne. Some army and palace factions are said to favour the princess as the next ruler. Other possibilities aired in recent years are a jump to Prince Vajiralongkorn’s children, such as his youngest, Prince Tipangkara, with a regent, perhaps Princess Sirindhorn. The leaked video was presumably a bid to discredit the prince and push other options. So far, however, King Bhumibol seems to have made up his mind that Prince Vajiralongkorn will succeed him.
Vajiralongkorn, meddling already
Paul Handley, the king’s unofficial biographer, whose book is banned in Thailand, thinks there is a tiny possibility that King Bhumibol could decide on his deathbed to disinherit Prince Vajiralongkorn. That would require a written command. Life in exile in Europe might suit the prince, who would not want for money or diversions. Inevitably there are other, bloodier, predictions of how he might be removed from the succession. This might explain why soldiers in his personal guard are not allowed to wear guns in his presence.
One reason why Prince Vajiralongkorn is distrusted in military circles is his past association with Mr Thaksin, who was ousted by a military coup in 2006. Mr Thaksin, a telecoms billionaire turned populist politician, was said to have lavished money on the prince. That may have been the real reason for the coup, which appeared to have the blessing of Prem Tinsulanonda, the chairman of the Privy Council and thus the king’s chief adviser. The fact that Mr Thaksin, who is living in exile in Dubai, is still in contact with the prince is deeply troubling for those same royalists. In a recent interview with a British newspaper, the former prime minister lavishly praised the heir to the throne.
Nobody knows what kind of ruler Prince Vajiralongkorn would be. Sulak Sivaraksa, a veteran royal observer and social activist, says that the prince has matured during his third marriage and is more respectful of others than in the past. Others say that he is still easily bored by royal duties, unlike Princess Sirindhorn, who lives for them. Above all, say royal watchers, he needs able courtiers to steer him through the political pitfalls ahead. Many believe that Prince Vajiralongkorn will replace the Privy Council with his own men. For senior courtiers who have served the king and look askance at his successor, an exit will be welcome. But the new men “will definitely not have the calibre” of the current crop, says a foreign scholar.
Mighty but clumsy
A taste of this came last year when Mr Abhisit, the prime minister, tried to reshuffle the police force. His choice for police chief was blocked by members of his own team, including Nipon Prompan, an aide to Prince Vajiralongkorn, who lobbied for another candidate. A “powerful and mighty” backer was reported to be pushing the second man, a former head of national intelligence under Mr Thaksin. Mr Nipon later resigned from the cabinet. Mr Abhisit was unable to confirm his man, who is currently acting chief. The row exposed Prince Vajiralongkorn’s clumsy meddling. It also provoked apoplexy among King Bhumibol’s courtiers, says a palace source. Prince Vajiralongkorn was told that “we don’t do things like this,” the source says.
In fact, the palace has long patronised loyalists in the army and bureaucracy. This is how power operates in Thailand. What made Mr Thaksin such a threat to the palace was his determination to exert similar control. In turn, Prince Vajiralongkorn is itching to meddle in the annual autumnal shuffle of senior jobs in the armed forces and extend his support base, says a senior Asian diplomat. How far he succeeds may determine how long he lasts. Another possibility is a royal pardon for Mr Thaksin so that he can return to manage state affairs for the new king. This would delight the red shirts. But it would appal Bangkok’s elite and split the army. As for courting public support, this seems far-fetched. The prince knows he is unpopular, says a political acquaintance, but “he doesn’t care.”
One way out of this predicament would be to shrink the Thai monarchy back to its previous size. Top-down reform of the institution is more palatable than a push from below with republican overtones. Under King Bhumibol its stock has fallen already from its zenith in May 1992, when he could order a military dictator to cease and desist. Recent years have exposed the limits of his powers. In 2008 the king was unable to stop the People’s Alliance for Democracy from sowing chaos in his name. “We expect too much of him,” sighs a senior courtier.
Clearly Thailand needs a new equilibrium. Some fear that the power vacuum left by an enfeebled monarchy will be filled by the army, which is already the steel behind the palace’s gilded façade. But the generals who seized power in a coup in 2006 did a dismal job of running the country, and had to return power to the voters 15 months later. Business families do not want a repeat performance, and would prefer to have politicians and professionals in charge. Several banned MPs, some hoping to lead parties, will re-enter the field in 2012. But the rules of the game will need to be reset.
Some might argue that King Bhumibol shares the blame for the failure of democratic institutions to take root in Thailand. Relying on “a few good men” and the army to steer the country has left it in the lurch, says Mr Handley.
It is a sad twilight for the monarch. Thailand was once an outpost of freedom in a fairly repressive region. Scrappy politics did not choke rapid economic growth, as the bureaucrats kept a steady hand on day-to-day management. In the 1990s Western rights activists hoped that the dynamism of Thai civil society might spread to neighbouring countries. Instead, some now see Thailand as a cautionary tale of a botched democracy.
That may be too harsh. Thailand’s rival red and yellow mobs disagree about democracy, but both want a fair political system. To measure tolerance, the California-based Asia Foundation last year surveyed Thais about their views. It found that 79% of respondents would allow unpopular political parties to meet in their area. Only 6% said that they would stop seeing a friend who had joined a rival party. These are healthier figures than in other Asian democracies. Almost everyone agreed that democracy was the best form of government, though 30% would accept authoritarian rule in certain circumstances.
Thailand has not yet given up on democracy. But taking stock of its troubled politics should include talking about the crown. Of course, it is distasteful—and inauspicious, Thais believe—to speak of King Bhumibol’s death. But it is unavoidable. The stakes are too high. Respect and fear have kept a lid on the debate. Anyone who speaks out of turn in Thailand risks arrest under the lèse-majesté laws or a new, equally nasty computer-crimes law. Several people have been prosecuted for defaming the king and his family, including an Australian jailed (until freed by a royal pardon) for writing a novel that contained an unflattering depiction of the crown prince.
Behind closed doors, a spirited debate goes on over the fate of the monarchy when the king dies. An old prophecy holds that the Chakri dynasty will last only nine generations. King Bhumibol is Rama IX. Republican voices are rising to the surface—unreported in Thailand’s pliant media. The Bangkok Post struck a typical tone of pride and menace in its birthday eulogy for the king in December: “The Thai people’s love for his majesty is so ingrained in the national psyche that to declare otherwise is unthinkable.”
Gagged and flagging
Within palace circles, however, there is a dawning realisation that change is coming. Senior royalists know that King Bhumibol’s charisma and influence will not easily transfer to his successor. This is the crux of Thailand’s royal impasse. And King Bhumibol knows it, says Mr Sulak. As he puts it, the king “would like to see that the next reign will not be bloody.”
To this end, King Bhumibol recently asked three trusted emissaries to present ideas for reforming the institution, according to Mr Sulak. One emissary asked for Mr Sulak’s advice, explaining that the findings would be for the king’s eyes only. Mr Sulak replied that the palace must be transparent about its finances, including some $35 billion in assets managed by the Crown Property Bureau, decouple itself from the army and open up to public criticism. Only by becoming a European-style figurehead can a future monarch survive, he argues.
Preserving the tree
Mr Sulak has often been accused of lèse-majesté. He insists that he is a monarchist at heart. “To pull down the tree is easy. But I think it’s better to preserve it,” he says. Such steps just might rescue the Chakri dynasty. But a radical rethink seems unlikely. Allowing opponents to attack an insecure ruler could quickly escalate. Under King Bhumibol the silencing of opponents has been controversial, but many tolerate it out of respect. Prince Vajiralongkorn can expect no such leeway.
What might a diminished monarchy look like? Thailand may not be ready for such a thing. In Spain, the palace’s annual household budget of €9m ($12m) is audited by the government. Norway puts its royal accounts on a website. It is impossible to find out how much Thailand’s jet-setting royals spend. Japan may be a better model, as a respectful national press keeps its distance.
It took defeat in the second world war and an American occupation to curtail the powers of Japan’s emperor. Other royal houses were whittled down to size by assertive parliaments. This happened in Thailand in 1932, but was later reversed under King Bhumibol. Clearly, some constitutional fixes would be needed to shrink the sovereign’s role. But power in Thailand flows along patronage networks that start with the king. That is why elected ministers who care about their careers are continually looking over their shoulders for signals from the palace. Mr Abhisit attends so many royal ribbon-cuttings that it is hard to imagine how he finds time to govern, says a senior Western diplomat.
Royal censorship has kept much of this debate under wraps. That is a pity. King Bhumibol famously said in 2005 that he was not above criticism. But not many are ready to test that. Though the internet is humming with opinions, the taboo still stands. And because the country has never had a chance to talk openly, people cannot prepare themselves for what may be a rough road ahead.
Cheap Air Fares Around Asia
Attention anyone living and traveling around Asia. Matt Gross of the New York Times has posted an excellent, excellent article about finding the cheapest air fares within Asia. This is a must read and clip article that will save you tons of money.
Matt Gross the Frugal Traveler on Cheap Air Fares Within Asia
Visit the website above for hot links. Here's a small sample:
A trio of Web sites — WhichBudget.com, FlyBudget.com and FlyLowCostAirlines.org — aims to answer exactly these questions. They all do almost exactly the same thing: Enter one location (anywhere in the world, not just Asia), and they’ll tell you which low-cost carriers fly directly from there, and the various destinations. That’s it! It seems like a simple thing, but with low-cost carriers adding and deleting routes throughout the world, it’s not..
Instead, visit SkyScanner.net, Momondo.com or WeGo.com, all of which let you comparison-shop by route and price, and among airlines both low-cost and traditional. Even though the companies are scattered all over the world (SkyScanner in Scotland and Poland; Momondo in Denmark; WeGo in Singapore), they’re all fairly similar with regard to design and functionality. Indeed, they probably look a lot like the travel booking site you already use
न्यूड सीन देने में आपत्ति नहीं: एश्ले ग्रीन
मशहूर हॉलीवुड अभिनेत्री एश्ले ग्रीन को फिल्मों में न्यूड सीन देने में कोई आपत्ति नहीं है बशर्ते किरदार अदायगी के लिए इसकी सख्त जरूरत हो। एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार 23 साल की ग्रीन फिल्मों में बेवजह दिए जाने वाले न्यूड सीन को अच्छा नहीं मानतीं।
ग्रीन का मानना है कि बहुत सारी फिल्मों में एक्ट्रेस को बेवजह न्यूड सीन के लिए कहा जाता है। उनका मानना है कि यह एक तरह से एक्ट्रेस का शोषण है। एश्ले कहती हैं, न्यूड सीन के लिए वे कभी भी न नहीं कहेंगी। यदि फिल्म की जरूरत हो तो यह ठीक है वरना इसे शोषण माना जाएगा।